धर्म डेस्क: हिंदू पंचांग के अनुसार शुक्ल पक्ष की अंतिम तिथि पूर्णिमा होती है। इस बार पौष मास की पूर्णिमा 12 जनवरी, गुरुवार को है। हिंदू धर्म मानने वालों के लिए यह पूर्णिमा बहुत ही खास है क्योंकि धर्म ग्रंथों के अनुसार इसी दिन मां शाकंभरी का अवतरण हुआ था इसलिए इस दिन माता शाकंभरी की जयंती का पर्व भी मनाया जाता है। इसे मनाने के पीछे बहुत ही रोचक कहाने शास्त्रों में दी गई है। इस कहानी के अनुसार...
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दानवों के उत्पात से त्रस्त भक्तों ने जब कई वर्षों तक सूखा एवं अकाल से ग्रस्त होकर देवी से प्रार्थना की तब देवी ऐसे अवतार में प्रकट हुई, जिनकी हजारों आखें थी। अपने भक्तों को इस हाल में देखकर देवी की इन हजारों आंखों से नौ दिनों तक लगातार आंसुओं की बारिश हुई, जिससे पूरी पृथ्वी पर हरियाली छा गई तथा जीवन रस से परिपूर्ण हो गया।
यही देवी शताक्षी के नाम से भी प्रसिद्ध हुई एवं इन्ही देवी ने कृपा करके अपने अंगों से कई प्रकार की शाक, फल एवं वनस्पतियों को प्रकट किया। इसलिए उनका नाम शाकंभरी प्रसिद्ध हुआ। पौष मास के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि से शाकंभरी नवरात्रि का आरंभ होता है, जो पौष पूर्णिमा पर समाप्त होता है। इस दिन शाकंभरी जयंती का पर्व मनाया जाता है।
मान्यता के अनुसार इस दिन असहायों को अन्न, शाक(कच्ची सब्जी), फल व जल का दान करने से अत्यधिक पुण्य की प्राप्ति होती हैं व देवी दुर्गा प्रसन्न होती हैं।
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