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जर्नल में प्रकाशित व्याख्या के अनुसार शोधकर्ताओं ने करीब चार सौ लोगों को इस अध्ययन में शामिल किया था। स्त्री पुरुषों की संख्या बराबर थी। जो नतीजे सामने आए उनके अनुसार ऐसी खबरों या सूचनाओं का पुरूषों पर महिलाओं जैसा असर नहीं पड़ता। जब महिलाएं कहीं नकारात्मक खबरें पढ़ती हैं तो इससे उनमें स्ट्रेस-हॉरमोन यानी तनाव पैदा करने वाले हॉरमोन का स्तर बढ़ जाता है। इस तरह की खबरें महिलाओं को दिमागी तौर पर ज़्यादा सक्रिय बना देती हैं।
किंग्स कॉलेज लंदन में प्रोफेसर टेरी मोफिट ने दूसरे पहलुओं का जिक्र करते हुए कहा कि आध्यात्मिक तौर पर महिलायें अपने बच्चों और प्रियजनों पर आने वाले ख़तरों के प्रति ज्यादा संवेदनशील होती हैं। उन्हें खतरों की ज़्यादा समझ होती है। इसी वजह से तनाव के पलों में उनका व्यवहार भी पुरुषों की तुलना में अलग होता है।
वे अपने मन और मस्तिष्क पर तनाव के असर जिस तरह कम करती हैं, वह वाकई सबके लिए सांत्वना देने और आध्यात्मिकता को बल देने वाला है। संकट और तनाव के समय वे जिस तरह प्रार्थना, विश्वास और देवी करुणा से उबर कर आती है, वह वाकई पुरुषों के लिए बहुत कुछ सिखाने वाला हैं।
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