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जानिए नाग को दूध पिलाने की परंपरा की शुरुआत कैसे हुई

हिंदू धर्म के शास्त्रों में उल्लेख मिलता है कि सांपों को दूध पीलाने से सर्प देवता प्रसन्न होते हैं। जिससे आप पर कृपा बनी रहे। आपको अपनी खबर में बताएगे कि सापों को दूध पिलाने की शुरुआत कैसे हुई।

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धर्म डेस्क: हिंदू धर्म के शास्त्रों में उल्लेख मिलता है कि सांपों को दूध पीलाने से सर्प देवता प्रसन्न होते हैं।  जिसके कारण आपके ऊपर उनकी कृपा बनी रहती है।  आपके घर से कभी लक्ष्मी बाहर नहीं जाती है। इसलिए यह परंपरा सदियों से चली आ रही है कि नागपंचमी के दिन नागों को दूध लावा अर्पित किया जाए। जिससे आप पर कृपा बनी रहे। आपको अपनी खबर में बताएगे कि सापों को दूध पिलाने की शुरुआत कैसे हुई।

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इस बारें में कई कथाए प्रचलित है। इसी कारम यह कहमा संभव नहीं है कि आखिर सच्चाई क्या है। कुछ तो ऐसी कथाए है कि जिनका रहस्य जानकर आप चौक जाएगे। जानिए इन कथाओं के बारें में।
ऐसा ही दृश्य इस वर्ष भी देश के कई भागों में देखा गया है। लेकिन नागों के दूध पीने से जुड़ा एक रहस्य ऐसा है जो आपको चौंका देगा।

प्रचीन काल में दशराज्ञयुद्ध के राजाओं में से एक राजा यदु ने नागकन्याओं से विवाह किया था। इन नागरानियों से उन्हें चार पुत्र हुए। और इन्होंने ही आर्यावर्त के दक्षिण में चार राज्यों की नींव रखी। ये चार राज्य महिष्मती, सहयाद्रि, वनवासी और रत्नपुर थे।

महिषमति के नागों ने भैंस के दूध के प्रति रुचि को नाग को दूध पिलाने की परंपरा शुरू हुई। रत्नपुर कीमती रत्नों के लिए जाना जाता था जिससे नागों को नागमणि से जोड़ा गया। सहयाद्रि में चंदन के वृक्ष थे, अनेक सांप उनसे लिपटे रहते थे। इसलिए चंदन के वृक्ष से सांप के लिपटने के मिथक को तैयार किया गया।

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