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कुरुक्षेत्र का महत्व
महाभारत एवं अन्य पुराणों में कुरुक्षेत्र की महिमा के बारे में बताया गया है। महाभारत के वनपर्व के अनुसार, कुरुक्षेत्र में आकर सभी लोग पापमुक्त हो जाते हैं और जो ऐसा कहता है कि मैं कुरुक्षेत्र जाऊंगा और वहीं निवास करुंगा। यहां तक कि यहां की उड़ी हुई धूल के कण पापी को परम पद देते हैं।
नारद पुराण में आया है कि ग्रहों, नक्षत्रों एवं तारागणों को कालगति से (आकाश से) नीचे गिर पड़ने का भय है, किन्तु वे, जो कुरुक्षेत्र में मरते हैं पुन: पृथ्वी पर नहीं गिरते, अर्थात् वे पुन:जन्म नहीं लेते। भगवद्गीता के प्रथम श्लोक में कुरुक्षेत्र को धर्मक्षेत्र कहा गया है।
कुरूक्षेत्र में हो रहा है गीता महोत्सव
यहां पर बहुत ही भव्य गीता महोत्सव का आयोजन किया गया है। जो कि 6 दिसंबर से 10 दिसंबर तक चलेगा। जिसमें कई रिकार्ड पहली बार बनाएं गए है। इसी जगह पर एक साथ कई दोशों के 18 हजार छात्रों ने एक साथ गीता श्लोक का पाठ किया। जिसे गिनीज बुक में नाम दर्ज कराने का दावा किया जा रहा है। ऐसे ही कई और भव्य कार्यक्रम का आयोजन किया जा रहा है।
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