A
Hindi News लाइफस्टाइल जीवन मंत्र ...तो इस कारण बरसाना में मनाई जाती है लट्ठमार होली

...तो इस कारण बरसाना में मनाई जाती है लट्ठमार होली

बरसाना में लट्टमार होली फाल्गुन मास की शुक्ल पक्ष की नवमी को मनाई जाती है। यह होली बहुत ही शुभ मानी जाती है। मान्यता है कि बरसाने की औरतों की लाठी जिसके सिर पर छू जाए, वह सौभाग्यशाली मानी जाता है। जानिए लट्ठमार होली मनाने के पीछे का कारण...

lathmar holi- India TV Hindi lathmar holi

धर्म डेस्क: होली आने के 8 दिन पहले से ही राधा की नगरी बरसाना में होली खेलना शुरु हो जाती है। यहां पर ऐसी होली खेली जाती है। जो कि पूरे विश्व में प्रसिद्ध है। इस होली की शुरुआत होती है लड्डू होली के साथ। आज लट्ठमार होली मनाई जा रही है। इस दिन नन्द गांव के ग्वाल-बाल होली खलने के लिए राधा-रानी के गांव बरसाना जाते है। इसके साथ ही ग्वाल मंदिरों में जाकर पूजा-अर्चना भी करते है।

ये भी पढ़ें

बरसाना में लट्टमार होली फाल्गुन मास की शुक्ल पक्ष की नवमी को मनाई जाती है। यह होली बहुत ही शुभ मानी जाती है। मान्यता है कि बरसाने की औरतों की लाठी जिसके सिर पर छू जाए, वह सौभाग्यशाली मानी जाता है।

इस लट्ठमार होली की तैयारियां महिलाएं 1 महीने पहले से ही शुरु कर देती है। जानिए इस मनाने के पीछे क्या है कारण।

बरसाना राधा के गांव के रूप में जाना जाता है। वहीं 8 किलोमीटर दूर बसा है भगवान श्रीकृष्ण का गांव नंदगांव। इन दोनों गांवों के बीच लठमार होली की परंपरा सदियों से चली आ रही है। जो कि 5000 साल बीत चुके है।

इसके पीछे मान्यता है कि बरसाना श्रीकृष्ण का ससुराल है और कन्हैया अपनी मित्र मंडली के साथ ससुराल बरसाना में होली खेलने जाते थे। वो राधा व उनकी सखियों से हंसी ठिठोली करते थे तो राधा व उनकी सखियां नन्दलाल और उनकी टोली (हुरियारे) पर प्रेम भरी लाठियों से प्रहार करती थीं। वहीं श्रीकृष्ण और उनके सखा अपनी अपनी ढालों से बचाव करते थे। इसी को लठमार होली का नाम दिया गया। 

यह सब मारना पीटना हंसी खुशी के वातावरण में होता है। यह लट्ठमार होली आज भी बरसाना की औरतों-लड़कियों और नंदगांव के आदमियों-लड़कों के बीच खेली जाती है।

Latest Lifestyle News