जानिए, आखिर अगहन मास को क्यों कहते हैं मार्ग शीर्ष?
अगहन के साथ-साथ इसे मार्ग शीर्ष भी कहते है। बहुत ही कम लोग इस नाम से इसे जानते है। अब आपके दिमाग में भी ये बात आई होगी कि इसे मार्घ शीर्ष क्यों कहते है। इस मास को श्री कृष्ण का माह का कहा जाता है। जानिए कारण...
धर्म डेस्क: हिंदू पंचांग के अनुसार साल का नौवां महीना को अगहन मास होता है। इसकारण इस बार 15 नवंबर, मंगलवार से शुरु हो रहा है। जो कि 13 दिसंबर, मंगलवार तक रहेगा। अगहन के साथ-साथ इसे मार्ग शीर्ष भी कहते है। बहुत ही कम लोग इस नाम से इसे जानते है। अब आपके दिमाग में भी ये बात आई होगी कि इसे मार्घ शीर्ष क्यों कहते है। इस मास को श्री कृष्ण का माह का कहा जाता है। इन दिनों में इनकी पूजा करना बहुत ही फल देता है। इसके साथ ही इस माह में शंख का पूजन करना बहुत ही फलदायी है। इससे आपकी हर मनोकामना पूर्ण हो जाएगी। इस माह में नदी स्नान और दान-पुण्य का विशेष महत्व है। अब आप जानिए कि आखिर इसे इस नाम से क्यों जानते है।
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अगहन मास को मार्गशीर्ष कहने के पीछे भी कई तर्क हैं। भगवान श्रीकृष्ण की अनेक स्वरूपों में व अनेक नामों से पूजा की जाती है। इन्हीं स्वरूपों में से एक मार्गशीर्ष भी श्रीकृष्ण का ही एक रूप है। इसके अलावा शास्त्रों में इसकी और भी वजह दी गई है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार 27 नक्षत्र बताए गए हैं। इन्हीं 27 नक्षत्रों में से एक है मृगशिरा नक्षत्र। इस माह की पूर्णिमा मृगशिरा नक्षत्र से युक्त होती है। इसी वजह से इस मास को मार्गशीर्ष मास कहा गया है।
इसके अलावा इस माह को मगसर, अगहन या अग्रहायण मास भी कहा जाता है। भागवत के अनुसार श्रीकृष्ण ने कहा है 'मासानां मार्गशीर्षोऽहम्' अर्थात् सभी महिनों में मार्गशीर्ष श्रीकृष्ण का ही स्वरूप है। मार्गशीर्ष मास में श्रद्धा और भक्ति से प्राप्त पुण्य के बल पर हमें सभी सुखों की प्राप्ति होती है।
श्रीकृष्ण के बाल्यकाल में जब गोपियां उन्हें प्राप्त करना ध्यान लगा रही थी तब श्रीकृष्ण ने मार्गशीर्ष मास की महत्ता बताई थी। उन्होंने कहा था कि मार्गशीर्ष माह में यमुना स्नान से मैं सहज ही सभी को प्राप्त हो जाऊंगा। तभी से इस माह में नदी स्नान का खास महत्व माना गया है।