धर्म डेस्क: दशहरे के मौके में रावण के साथ-साथ कुंभकरण और मेधनाथ के दहन कर असत्य पर सत्य की जीत का पर्व मनाते है। धर्म ग्रंथों के अनुसार, रावण महापराक्रमी और विद्वान था, लेकिन इसके साथ ही वह अत्याचारी और कामांध भी था।
ये भी पढ़े-
रामायण के अनुसार राक्षस राज भगवान राम ने रावण का वध कर खत्म किया। हम यह बात जानते हैं कि रावण के वध का कारण सीता मां का हरण था। इन्हीं कारणों से रावण को अपने पुत्रों, राज्य और जीवन के हाथ धोना पड़ा। लेकिन यह पूरा सत्य नही है। इसके पीछे और भी कारण है जो वाल्मीकि रामायण में बताया गया है।
माना जाता है कि रावण काफी बड़ा विद्वान था, लेकिन राक्षस प्रवृत्ति और अपनी शक्तियों पर घमंड हो जाने के कारण वह अत्याचार करनें लगा था। सभी को परेशान करने लगा था जिसके कारण महान ऋषियों ने उसे श्राप दे दिया जो उसकी मृत्यु का कारण बना। जानिए सीता हरण के आलावा किन कारणों से रावण की मृत्यु हुई।
- श्री राम के वंशज राजा अनरण्य के राज्य में रावण अपना अधिकार करना चाहता था। जिसके कारण दोनों के बीच भीषण युद्ध हुआ। ब्रह्मा जी के वरदान के कारण अनरण्य हार गए और रावण उनका अपमान करने लगा। जिससे त्रस्त होकर अनरण्य ने रावण को श्राप दिया कि मेरे वंशज दशरथ का पुत्र तुम्हारा काल बनेगा। उसी के हाथों तुम्हारी मृत्यु होगी।
- रावण नही चाहता था कि उससे अधिक कोई बलवान हो या फिर कही शांति हो। इसी कारण उसने तपस्या कर रहे कई ऋषियों का वध कर दिया। जिसके कारण उन ऋषियों ने यह शाप दिया कि हमारे शरीर से निकला हुआ रक्त और इस मिट्टी से ही तुम्हारी म़त्यु होगी। इसी श्राप के कारण सीता मां का जन्म धरती से हुआ था।
अगली स्लाइड में पढ़े और कारण
Latest Lifestyle News