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जानिए कैसे व्यक्तियों को मिलता है स्वर्ग में प्रवेश

नई दिल्ली: जब कभी भी किसी अच्छे इंसान की मौत होती है तो हम कहते हैं कि जरूर यह व्यक्ति स्वर्ग में जाएगा। इस विषय में महर्षि व्यास द्वारा बोले और प्रथम पूज्य गणेश जी

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नई दिल्ली: जब कभी भी किसी अच्छे इंसान की मौत होती है तो हम कहते हैं कि जरूर यह व्यक्ति स्वर्ग में जाएगा। इस विषय में महर्षि व्यास द्वारा बोले और प्रथम पूज्य गणेश जी द्वारा लिखी गई महाभारत में इसका विस्तार से वर्णन है। एक बार कुरूक्षेत्र में रहने वाले मुद्गल ऋषि की दुर्वासा मुनि ने परीक्षा ली। इस परिक्षा में मुद्गल ऋषि खरे उतरे। तब एक देवदूत उन्हें स्वर्ग ले जाने के लिए आया। देवदूत ने कहा- स्वर्ग यहां से बहुत ऊपर का लोक है, जिसे स्वर्गलोक भी कहते हैं।

जो व्यक्ति असत्यवादी, नास्तिक और तप, दान, यज्ञ नहीं करता, उसे यहां प्रवेश नहीं मिलता है। धर्मात्मा, जितेंद्रिय, शम-दम से संपन्न, द्वेषरहित, दानी, युद्ध में मारे गए शूरवीरों को ही यहां प्रवेश मिलता है। यहां इच्छानुसार भोग उपलब्ध है। सोने के लिए पर्वत सुमेरूगिरि है। यहां किसी को भूख-प्यास नहीं लगती, ना ही कोई उदास होता है, पसीना नहीं निकलता, गर्मी और सर्दी नहीं लगती, कष्ट और भय नहीं होता। विलाप और अशुभ चीजें नहीं होती। बुढ़ापा और थकावट नहीं होती। ऐसा इसलिए होता है, क्योंकि स्वर्गवासियों के शरीर में तैजस तत्व होता है। दिव्य कुसुमों की मालाएं दिव्य सुगंध फैलाती रहती हैं।

स्वर्ग में अगर कोई दोष है तो वह यह कि यहां पर व्यक्ति कोई कर्म नहीं कर सकता है। स्वर्ग का भोग अपनी मूल पूंजी गंवा कर ही प्राप्त होता है। जिस दिन व्यक्ति के पुण्य समाप्त हो जाते हैं, उस दिन उनके गले की माला सिकुड़ जाती है। इसी से पता चलता है कि व्यक्ति स्वर्ग से गिर चुका है। स्वर्ग से जब कोई गिरने लगता है तो उसकी चेतना लुप्त हो जाती है, सुध-बुध नहीं रहती।

यह सुन कर मुद्गल ऋषि ने कहा- मेरा आपको प्रणाम है। स्वर्ग में तो भारी दोष है। मुझे स्वर्ग और उसके सुख से कोई काम नहीं है। मैं तो वहां जाऊंगा, जहां व्यथा और शोक से पिंड छूट जाए।

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