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Hindi News लाइफस्टाइल जीवन मंत्र ...तो इस शाप के कारण हुई थी श्री कृष्ण की मृत्यु और यदुवंश का नाश

...तो इस शाप के कारण हुई थी श्री कृष्ण की मृत्यु और यदुवंश का नाश

लेकिन इस युद्ध के कारण कुछ ऐसा हुआ जो अविश्वसनीय है। वो है श्री कृष्ण के पूरे वंश के साथ नाश। हां जी श्री कृष्ण के साथ-साथ उनके यदुवंश के हर व्यक्ति की मौत। जो महाभारत के कुछ ही दिनों बाद से नजर आने लगा था। जानिए कारण।

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नई दिल्ली: महाभारत के युद्ध के बारें में कौन नहीं जानता है। ऐसा युद्ध जो साम्राज्य के लए दो परिवारों में भीषण युद्ध हुआ। जिसमें असख्यं लोग मारे गए है। यह महाभारत पूरे 18 दिनों तक चली। जिसमें रक्तचाप के सिवाय कुछ हाथ लगा। जिसमें पांडवों और कौरवो का युद्ध हुआ और इसमें कौरवों के समस्त कुल का नाश हुआ, साथ ही पांचों पांडवों को छोड़कर पांडव कुल के अधिकांश लोग मारे गए।

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लेकिन इस युद्ध के कारण कुछ ऐसा हुआ जो अविश्वसनीय है। वो है श्री कृष्ण के पूरे वंश के साथ नाश। हां जी श्री कृष्ण के साथ-साथ उनके यदुवंश के हर व्यक्ति की मौत। जो महाभारत के कुछ ही दिनों बाद से नजर आने लगा था। इस नाश का कारण था एक शाप जो एक मां द्वारा अपने बेटो की मृत्यु से दुखी होकर दी थी। वह और कोई नहीं स्वयं गांधारी थी। जानिए ऐसा क्या, कैसे और क्यों हुआ।

महाभारत युद्ध की समाप्ति के बाद जब युधिष्ठर का राजतिलक हो रहा था तब कौरवों की माता गांधारी ने महाभारत युद्ध के लिए श्रीकृष्ण को दोषी ठहराते हुए शाप दिया की जिस प्रकार कौरवों के वंश का नाश हुआ है ठीक उसी प्रकार यदुवंश का भी नाश होगा। गांधारी के श्राप से विनाशकाल आने के कारण श्रीकृष्ण द्वारिका लौटकर यदुवंशियों को लेकर प्रयास क्षेत्र में आ गये थे। यदुवंशी अपने साथ अन्न-भंडार भी ले आये थे।

कृष्ण ने ब्राह्मणों को अन्नदान देकर यदुवंशियों को मृत्यु का इंतजार करने का आदेश दिया था। कुछ दिनों बाद महाभारत-युद्ध की चर्चा करते हुए सात्यकि और कृतवर्मा में विवाद हो गया। सात्यकि ने गुस्से में आकर कृतवर्मा का सिर काट दिया। इससे उनमें आपसी युद्ध भड़क उठा और वे समूहों में विभाजित होकर एक-दूसरे का संहार करने लगे। इस लड़ाई में श्रीकृष्ण के पुत्र प्रद्युम्न और मित्र सात्यकि समेत सभी यदुवंशी मारे गये थे, केवल बब्रु और दारूक ही बचे रह गये थे।

यदुवंश के नाश के बाद कृष्ण के ज्येष्ठ भाई बलराम समुद्र तट पर बैठ गए और एकाग्रचित्त होकर परमात्मा में लीन हो गए। इस प्रकार शेषनाग के अवतार बलरामजी ने देह त्यागी और स्वधाम लौट गए।

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