एक क्लिक में जानिए इस बार किस दिन होगा होलिका दहन और कब खेला जाएगा रंग
होली हिंदू धर्म में प्रमुख त्योहारों में से एक है। होली को रंगो का त्योहार कहा जाता है। यह त्योहार दो दिन मनाया जाता है। पहले दिन होलिका दहन और दूसरे दिन धुलंडी के रुप में मनाया जाता है।
धर्म डेस्क: होली हिंदू धर्म में प्रमुख त्योहारों में से एक है। होली को रंगो का त्योहार कहा जाता है। यह त्योहार दो दिन मनाया जाता है। पहले दिन होलिका दहन और दूसरे दिन धुलंडी के रुप में मनाया जाता है।
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होली एक ऐसा त्योहार है। जो कि बरसाना(मथुरा) में बहुत ही धूमधाम में मनाया जाता है। यहां पर होली के 8 दिन पहले से ही होली खलेना शुरु हो जाता है। जिसकी शुरुआत लड्डू होली के साथ होती है। इस दिन बरसाना में राधारानी की सखियां अपने सिर पर गुलाल की हांडी, पान, बीड़ा, लड्डू लेकर नंदभवन गई थी। वहां से लठ्ठमार होली का आमंत्रण स्वीकार होने का संदेश आया तो वृषभानु भवन (श्रीजी मंदिर) में लड्डू बरसने शुरू हो गए। लड्डू के साथ-साथ बिस्किट और टॉपी भी बहुत सारी लुटाई गई। इसके साथ ही गुलाल और टेसू के फूल से बना रंग लोगों के ऊपर पड़ने लगा। जिससे हर चीज रंग से सराबोर हो गई। इस दौरान लोग झांझ, मृदंग और ढोलक के साथ समाज गायन में जुटे रहे। वे गा रहे थे, ‘नंदगाव की पौड़ौ ब्रज बरसाने आयो, होरी कौ पकवान भर भर खायो..’!
इसके दूसरे दिन लट्ठमार होली खेली जाती है। जो कि पूरे विश्व में फेमस है। इस होली को देखने के लिए दूर-दूर देशो से लोग आते है। इस होली की शुरुआत होती है लड्डू होली के साथ। आज लट्ठमार होली मनाई जा रही है। इस दिन नन्द गांव के ग्वाल-बाल होली खलने के लिए राधा-रानी के गांव बरसाना जाते है। इसके साथ ही ग्वाल मंदिरों में जाकर पूजा-अर्चना भी करते है। बरसाना में लट्टमार होली फाल्गुन मास की शुक्ल पक्ष की नवमी को मनाई जाती है। यह होली बहुत ही शुभ मानी जाती है। मान्यता है कि बरसाने की औरतों की लाठी जिसके सिर पर छू जाए, वह सौभाग्यशाली मानी जाता है। जानिए इस बार होली दहन के साथ रंगो कब खेले जाएंगे।
12 मार्च रविवार होलिका दहन
13 मार्च सोमवार रंग खेले जाएंगे
14 मार्च मंगलवार भाई दूज (भाई दूज के दिन बहने अपने भाई की लंबी उम्र और भाई-बहन के रिश्ते को और अटूट बनाने के लिए तिलक लगाती है।)