धर्म डेस्क: गणपति को विघ्नहर्ता और ऋद्धि-सिद्धी का स्वामी कहा जाता है। इनका स्मरण, ध्यान, जप, आराधना से कामनाओं की पूर्ति होती है व विघ्नों का विनाश होता है। वे शीघ्र प्रसन्न होने वाले बुद्धि के अधिष्ठाता और साक्षात् प्रणवरूप है। गणेश का मतलब है गणों का स्वामी।
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किसी भी मांगलिक काम, आराधना, अनुष्ठान व कार्य में गणेश जी के गण कोई विघ्न-बाधा न पहुंचाएं, इसलिए सर्वप्रथम गणेश-पूजा करके उसकी कृपा प्राप्त की जाती है। गणेश जी को दूर्वा चढाने की मान्यता है इस बारें में माना जाता है कि उन्हे दूर्वा चढाने से सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती है। ऐसे ही भारत में गणेश जी की ऐसे मंदिर है जो किसी चमत्कार से आए या फिर स्वयं मूर्ति के रुप में प्रकट हुए।
इन्ही में एक मंदिर है जो अपने आप पर अनोखा मंदिर है। इस मंदिर में किसी अपराधी और पापी के जाने से ही वह अपने जुर्म को कबूल लेता है। इस मंदिर के बनने की कहानी भी उतनी ही रोचक है। जितनी यहां पर आने वालों लोगों को अपना पाप कबूल कर लेना।
यह मंदिर दूसरों मंदिरों से अपने आप में अनूठा है क्योंकि ये विशाल मंदिर नदी के बीचों बीच स्थित है। कहा जाता है यहां आने वाले हर भक्त के पाप को विघ्नहर्ता हर लेते हैं। आस्था और चमत्कार की ढेरों कहानियां खुद में समेटे कनिपक्कम विनायक का ये मंदिर आंध्रप्रदेश के चित्तूर जिले में मौजूद है। माना जाता है कि इसका निर्माण चोल वंश ने 11 वीं शताब्दी में करवाया था। जिसका विस्तार सम 1336 में विजयनगर के शासकों ने की थी।
अगली स्लाइड में इस मंदिक के बनने के पीछे की रोचक कहानी
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