A
Hindi News लाइफस्टाइल जीवन मंत्र इस खरमास में कोई भी शुभ काम न करके करें दान-पुण्य होगा शुभ

इस खरमास में कोई भी शुभ काम न करके करें दान-पुण्य होगा शुभ

हिंदू धर्म के पंचाग के अनुसार हर साल सौर पौष को खर मास कहते है। जिसे मलमास या फिर काली रात भी कहा जाता है। मलमास आज से यानी कि 16 दिसंबर से

maha bhart

खरमास में मरने वालों को मिलता है नर्क
हिंदू धर्म के पुराण भागवत कथा या रामायण कथा का सामूहिक श्रवण ही खर मास में किया जाता है। ब्रह्म पुराण के अनुसार माना जाता है गकि इस मास में जिन लोगों की मृत्यु होती है। वह नर्क में जाते है। यानी कि व्यक्ति की मृत्यु अल्पायु में हो या दीर्घायु अगर वह पौष के मल मास में होती है तो वह निश्चित रूप से उसका इहलोक और परलोक नर्क के द्वार की तरफ खुलता है।

इस बारें में महाभारत में भी बताया गया है। इसके अनुसार जब खर मास के अन्दर अर्जुन ने भीष्म पितामह को धर्म युद्ध में बाणों की शैया से वेध दिया था। सैकड़ों बाणों से घायल हो जाने के बावजूद भी भीष्म पितामह ने अपने प्राण नहीं त्यागे। प्राण नहीं त्यागने का मूल कारण यही था कि अगर वह इस खर मास में प्राण त्याग करते हैं तो उनका अगला जन्म नर्क की ओर जाएगा।

इसी कारण उन्होंने अर्जुन से दोबारा एक ऐसा तीर चलाने के लिए कहा था जो उनके सिर पर विद्ध होकर तकिए का काम करे। इस प्रकार से भीष्म पितामह पूरे खर मास में बाणों की शैया पर लेटे रहे और जैसे ही सौर माघ मास की मकर संक्रांति आई उसके बाद शुक्ल पक्ष की एकादशी को उन्होंने अपने प्राणों का त्याग किया। इसी कारण कहा जाता है कि माघ मास की शरीर त्यागने से व्यक्ति सीधा स्वर्ग का भागी होता है।

Latest Lifestyle News