हिंदू धर्म में करवा चौथ का बहुत अधिक महत्व है। जिसका इंतजार हर सुहागिन महिला को बेसब्री से होता है। पति की लंबी आयु के लिए पत्नियां भूखी-प्यासी पूरे दिन व्रत रखती हैं। जिसके बाद शाम को सोलह श्रृंगार करके चांद को अर्ध्य देकर व्रत खोलती हैं। 4 नवंबर को करवा चौथ के व्रत में सुबह के समय यानी सूर्योदय से पहले सरगी खाने की परंपरा है। जानिए इसके बारे में सबकुछ ।
क्या है सरगी?
सरगी वह खाना है जो करवा चौथ के दिन सास अपनी बहू को देती हैं। इसके साथ ही वह कुछ सामान भी अपनी बहू को देती हैं। सरगी सुबह सूरज निकलने से पहले ली जाती है। इसके बाद से व्रत शुरू माना जाता है। असल में सरगी सास का बहू के लिए एक गिफ्ट होता है। सरगी खाने का यह लाभ होता है कि पूरे दिन महिलाएं एनर्जी से फुल रहें। अगर किसी की सास नहीं होती है तो घर की कोई बड़ी महिला सरगी बनाकर देती है।
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क्या है बायना?
जहां सास अपनी बहू को सरगी देती है। वहीं बहु अपनी सास को बायना देती है। जिसमें कपड़े, श्रृंगार का समान के साथ खाने-पीने की चीजें होती है।
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सरगी खाने का शुभ मुहूर्त
सरगी का समय सूरज निकलने से पहले होता है। इस साल सरगी खाने का शुभ मुहूर्त 4 नवंबर सुबह 4 बजकर 52 मिनट से 5 बजकर 43 मिनट तक है।
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सरगी की थाली
सरगी की थाली में ऐसी चीजें रखी जाती हैं। जिसे खाने ने दिनभर एनर्जी से फुल रहें। इसलिए सरगी की थाली में आप ऐसे फलों को रखें जिसमें भरपूर मात्रा में फाइबर और पानी हो। इसके अलावा कम कैलोरी वाली मिठाई, ड्राई फूट्स के साथ सेंवई रखी जाती है।
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