यमराज के न मानने पर सावित्री ने अन्न-जल का त्याग दिया। वो अपने पति के शरीर के पास विलाप करने लगीं। पतिव्रता स्त्री के इस विलाप से यमराज विचलित हो गए, उन्होंने सावित्री से कहा कि अपने पति सत्यवान के जीवन के अतिरिक्त कोई और वर मांग लो।
तब सावित्री ने यमराज से कहा कि आप मुझे कई संतानों की मां बनने का वर दें, जिसे यमराज ने हां कह दिया। पतिव्रता स्त्री होने के नाते सत्यवान के अतिरिक्त किसी अन्य पुरुष के बारे में सोचना भी सावित्री के लिए संभव नहीं था। तब यमराज के हां करने से सावित्री ने कहा कि मैं इनके बिना किसी पुरूष को देख भी नही सकती तो मां कैसे बन पाऊंगी।
यह बात सुनकर यमराज अपनी ही वरदान में उलझ गए। जिसके कारण अंत में एक पतिव्रता स्त्री के सुहाग को यमराज लेकर नहीं जा सके और सत्यवान के जीवन को सावित्री को सौंप दिया। इसी लिए माना जाता है कि यमराज से अपने पति की लंबी आयु के लिए व्रत रखती है। जिसमें वह अन्न-सज सब त्याग देती है। जिसे करवा चौथ के नाम से जाना जाता है।
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