धर्म डेस्क: कार्तिक मास में व्यक्ति के लिए अच्छी सेहत, उन्नति और मनोकामनाओं की पूर्ति के लिए होता है। कार्तिक मास का नाम शास्त्रों में दामोदर मास नाम से भी मिलता है। शास्त्रों के अनुसार ये भी माना जाता है कि इस दिनों में पितरों को दीप दान देने से उन्हें नरक से मुक्ति मिलती है।
यह माना जाता है कि इस मास में हर नदी का जल गंगा के समान पवित्र होता है। जो इस माह में डुबकी लगाते है उसे कुंभ में स्नान करने की तरह फल मिल जाता है।
कार्तिक मास की महिमा का बखान स्कंद पुराण, नारद पुराण, पद्मपुराण जैसे ग्रंथों में मिलता है। इसी माह में प्रबोधनी एकादशी होती है। जैसे सतयुग के समान कोई युग नहीं, वेदों के समान कोई शास्त्र नहीं, गंगा के समान कोई तीर्थ नहीं, वैसे ही कार्तिक के समान कोई मास नहीं।
इस मास में विधि विधान से काम करने से सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती है। इन दिनों में कुछ ऐसे काम है जो नही करने चाहिए। जानिए ऐसे कामों के बारें में जो इस मास कौन से काम न करने चाहिए।
तेल सिर्फ एक दिन ही लगाएं
पुराणों में माना जाता है कि इस मास में तेल लगाना वर्जित है। आप सिर्फ कार्तिक मास में केवल एक बार नरक चतुर्दशी यानि कि कार्तिक कृष्ण चतुर्दशी के दिन ही शरीर पर तेल लगाना चाहिए।
दलहन निषेध
कार्तिक मास में कोई भी दाल जैसे कि उड़द, मूंग, मसूर, चना, मटर, राई आदि नहीं खाना चाहिए। इस माह में हल्का आहार करना चाहिए। साथ ही गरिष्ठ भोजन से परहेज करना चाहिए।
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