धर्म डेस्क: हर माता-पिता चाहते है कि उनका बच्चा रोजाना तरक्की की राह में चलता रहे। माता-पिता खुद की टेंशन न सेकर हमेशा अपने बच्चों के बारें में सोचते रहते है। उसकी उम्र लंबी हो। इसी कामना को पूर्ण करने के लिए जिवितपुत्रिका व्रत दो दिन का आज से शुरु हो गया है। यानी कि 13 सिंतबर, बुधवार से शुरु होकर 14 सितंबर, बुधवार तक होगा। यह व्रत कल तक के लिए निर्जला रखा जाता है।
जीवितपुत्रिका व्रत आश्विन मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को रखा जाता है। इसे जीतिया’ या ‘जीउतिया’, ‘जिमूतवाहन व्रत’ जैसे कई और नामों से भी जानते है। जानिए पूजा विधि और कथा के बारें में।
ऐसे करें पूजा
ब्रह्ममपहूर्त में उठकर सभी कामों ने निवृत्त होकर स्नान करें और संकल्प लें। इसके बाद शाम को गाय के गोबर से अपने आंगन को लीपे और वहीं एक छोटा सा तालाब भी बना लें।
तालाब के निकट पाकड़ की डाल लाकर खड़ी कर दें। शालिवाहन राजा के पुत्र जीमूतवाहन की कुशनिर्मित मूर्ति मिट्टी के बर्तन में स्थापित कर पीली और लाल रुई से उसे सजाएं तथा धूप, दीप, चावल, फूल, माला एवं विविध प्रकार के नैवेद्यों से पूजा करें।
मिट्टी तथा गाय के गोबर से चिल्ली या चिल्होड़िन (मादा चील) व सियारिन की मूर्ति बनाकर उनके मस्तकों को लाल सिंदूर से सजा दें। अपने वंश की वृद्धि और प्रगति के लिए बांस के पत्तों से पूजा करना चाहिए। इसके बाद व्रत की कथा सुनें।
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