जन्माष्टमी 2019: आज रात 12 बजे घर में ही करें ये 5 काम, मिलेगा पूजा से दुगना फल
किन्हीं कारणों से मंदिर जाना संभव नहीं तो घर पर इस तरह मनाएं कृष्ण जन्मोत्सव। मिलेगा पूजा से भी दुगना फल।
Janmashtami 2019 - देश भर में जन्माष्टमी Janmashtami 2019 का त्योहार धूमधाम से मनाया जा रहा है। सजे धजे मंदिरों में भक्तों की भारी भीड़ है और व्रतधारी भक्त रात बारह बजे भगवान कृष्ण Shree Krishna के जन्मोत्सव के इंतजार में है। अष्टमी की रात बारह बजे जब भगवान का कृष्ण हुआ उस समय पूजा अर्चना और मंगला आरती से पुण्य मिलता है।
लेकिन अगर आपको विधिवत पूजा नहीं आती या किसी कारण मंदिर जाकर कृष्ण जन्मोत्सव में शामिल होने में असमर्थ हैं तो आप कुछ खास उपाय करके भगवान की आराधना कर सकते हैं। ये सभी उपाय रात बारह बजे यानी कृष्ण जन्मोत्सव के समय करने होंगे और भगवान श्री कृष्ण खुश होकर आपकी सभी मनाकामनाएं पूरी करेंगे।
1. थाली बजाएं
कृष्ण भगवान का जन्म रात बारह बजे हुआ था। आप इस समय भगवान कृष्ण के बाल रूप वाली मूर्ति के सम्मुख दीपक जलाकर बारह बजे थाली को बेलन से बजाए और अपने आस पास के लोगों को श्री कृष्ण जन्मोत्सव की बधाई दें और लें। चाहें तो किसी बच्चे को भगवान कृष्ण की तरह तैयार करके उसकी आरती उतार लें।
2. नाल छेदन करें
रात बारह बजे डंठल वाले खीरे को डंठल से अलग किसी चाकू की मदद से काटकर श्रीकृष्ण का नालछेदन करके उन्हें धरती पर लाएं। इस काम को काफी पुण्यकारी माना जाता है और इससे भगवान प्रसन्न होते हैं। दरअसल नाल छेदन प्रतीक है कि श्रीकृष्ण के बालक स्वरूप के देवकी के पेट से पैदा होने के बाद नाल काटी गई।
3 पीले फूलों की माला
जन्मोत्सव के भगवान कृष्ण की मूर्ति को पीले फूलों की माला जरूर चढ़ाएं। साथ ही भगवान की बाल मूरत को पीले वस्त्र पहनाएं। इससे भगवान प्रसन्न होंगे और आपकी सभी मनोकामनाएं पूरी होंगी।
4. बांसुरी बजाएं
रात बारह बजे श्री कृष्ण के जन्मोत्सव के समय बांसुरी बजाने से भगवान प्रसन्न होंगे। यह दैव उपाय है और श्रीकृष्ण और राधा के प्रेम का प्रतीक है। अगर आप श्री कृष्ण के जन्मोत्सव को बांसुरी की धुन से सुरीला बनाएंगे तो श्री कृष्ण की कृपा आप पर हमेशा बनी रहेगी।
5. माखन मिश्री का भोग
अगर भगवान श्रीकष्ण के जन्म के समय 56 भोग तैयार कर पाना संभव नहीं तो केवल शुद्ध माखन और मिश्री से भगवान के बाल रूप को भोग लगाएं। कहते हैं कि कृष्ण को माखन मिश्री का भोग लगाना 56 भोग लगाने के बराबर पुण्य देता है।