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Jagannath Rath Yatra 2021: जानिए जगन्नाथ रथ यात्रा का धार्मिक महत्व, पुण्य और इतिहास

विश्व प्रसिद्ध भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा का हिंदू धर्म में खास महत्व है।

jagannath puri rath yatra - India TV Hindi Image Source : INSTAGRAM/REALHINDUPOWER जगन्नाथ पुरी रथ यात्रा 2021 

जगन्नाथ रथ यात्रा का हिंदू धर्म में बहुत अधिक महत्व होता है। इस रथयात्रा का आयोजन ओडिशा के पुरी में स्थित जगन्नाथ मंदिर से होता है। हिंदू पंचांग के अनुसार हर साल आषाढ़ माह में शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को जगन्नाथ रथ यात्रा निकाली जाती है। इस यात्रा में भक्तों की भारी भीड़ होती है। हालांकि कोरोना वायरस की वजह से इस साल श्रद्धालुओं के बिना ही जगन्नाथ रथ यात्रा निकाली जा रही है। 

पुरी की यह रथ यात्रा सौहार्द्र, भाई-चारे और एकता का प्रतीक है 

ओडिशा के पुरी में भगवान बलराम, श्री जगदीश और देवी सुभद्रा का रथोत्सव मनाया जा रहा है। इस दौरान अलग-अलग रथों में तीनों की मूर्तियां स्थापित करके बहुत ही भव्य तरीके से रथयात्रा निकाली जाती है | पुरी की यह रथ यात्रा सौहार्द्र, भाई-चारे और एकता का प्रतीक है | इस यात्रा में भाग लेने के लिये हज़ारों की संख्या में श्रद्धालु देश के अलग-अलग कोनों से यहां आते हैं और भगवान के रथ को खींचकर सौभाग्य पाते हैं | कहते हैं जो भी व्यक्ति रथ यात्रा में शामिल होता है, उसे हर प्रकार की सुख-समृद्धि मिलती है। लेकिन, इस बार कोरोना वायरस की वजह से भक्तों को इसमें शामिल होने का मौका नहीं मिल पाया है। सुप्रीम कोर्ट के निर्देशानुसार रथ यात्रा केवल पुरी में सीमित दायरे में निकाली जाएगी। कोर्ट ने कोरोना के डेल्टा प्लस वैरिएंट और तीसरी लहर की आशंका को देखते हुए ओडिशा सरकार के फैसले को सही ठहराते हुए पूरे राज्य में रथ यात्रा को निकालने पर पाबंदी लगा दी है। 

यात्रा का महत्व 

हिन्दू धर्म में जगन्नाथ रथ यात्रा का बहुत बड़ा महत्व है। आषाढ़ शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को जगन्नाथ रथ यात्रा निकाली जाती है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार रथयात्रा निकालकर भगवान जगन्नाथ को प्रसिद्ध गुंडिचा माता के मंदिर पहुंचाया जाता हैं, जहां भगवान 7 दिनों तक विश्राम करते हैं। इसके बाद भगवान जगन्नाथ की वापसी की यात्रा शुरु होती है। भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा पूरे भारत में एक त्योहार की तरह मनाई जाती है। 

रथयात्रा का पुण्य 

भगवान श्रीकृष्ण के अवतार 'जगन्नाथ' की रथयात्रा का पुण्य सौ यज्ञों के बराबर बताया गया है। अगर कोई भक्त इस रथ यात्रा में शामिल होकर भगवान के रथ को खींचता है तो उसे यह फल प्राप्त होता है। जगन्नाथ रथयात्रा दस दिवसीय महोत्सव होता है। यात्रा की तैयारी अक्षय तृतीय के दिन श्रीकृष्ण, बलराम और सुभद्रा के रथों के निर्माण के साथ ही शुरू हो जाती है। 

सदियों पुराना है रथयात्रा का इतिहास

सदियों से चली आ रही इस रथयात्रा के दौरान श्री जगन्नाथजी, बलभद्रजी और सुभद्राजी रथ में बैठकर अपनी मौसी के घर, गुंडिचा मंदिर जाते हैं जो यहां से तीन किलोमीटर दूर है। आषाढ़ शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को तीनों अपने स्थान पर आते हैं और मंदिर में अपने स्थान पर विराजमान हो जाते हैं। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इस रथ यात्रा को देखने मात्र से सभी तरह के पापों से मुक्ति मिल जाती है और मृत्यु के बाद मोक्ष की प्राप्ति होती है।

 

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