- अघोरियों के लिए अघोर साधना के लिए काली चौदस की रात अधिक महत्वपूर्ण होती है। इस दिन अघोरी भटकती आत्माओं को अपने वश में करते हैं। इसके लिए अघोरी पांच खोपड़ी चार अलग-अलग दिशाओं में जबकि एक बीच में रख कर करते है।अघोरियों की साधना में इतना प्रभाव होता है कि यह मुर्दे से भी बात कर लेते है। माना जात है कि जब शिव साधना अपनी चरम में होता है तो मुर्दा बोल उठता है।
- अगर कोई शव नदी में या फिर शमशान में कोई आधा जला मिल जाए तो यह उसे निकालकर बडे ही चाव से खाते है। कई तो ऐसे अघोरी होते है कि जब चिता में शव जल रहा हो वह उसकी खोपड़ी निकाल कर बहुत आराम से खा जाते है।
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