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Hindi News लाइफस्टाइल जीवन मंत्र Independence Day 2018: इतनी आसान नहीं थी भारत की आजादी, जानिए स्वतंत्रता आंदोलन की पूरी कहानी और महत्व

Independence Day 2018: इतनी आसान नहीं थी भारत की आजादी, जानिए स्वतंत्रता आंदोलन की पूरी कहानी और महत्व

स्वतंत्रता दिवस 2018: जवाहर लाल नेहरु का वह पहला भाषण शायद ही कोई भूल सकता है, जब उन्होंने लाल किला से खड़ा होकर भारत की आजादी की घोषणा की और उन्होंने अपने भाषण में “ट्रीस्ट ओवर डेस्टिनी” शब्द का जिक्र किया।। यह वही खास दिन था 15 अगस्त, 1947।

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नई दिल्ली: स्वतंत्रता दिवस 2018: जवाहर लाल नेहरु का वह पहला भाषण शायद ही कोई भूल सकता है, जब उन्होंने लाल किला से खड़ा होकर भारत की आजादी की घोषणा की और उन्होंने अपने भाषण में “ट्रीस्ट ओवर डेस्टिनी” शब्द का जिक्र किया।। यह वही खास दिन था 15 अगस्त, 1947। आपको बता दें कि भारत अपना 72वीं स्वतंत्रा दिवस मनाने जा रहा है। लेकिन इसके साथ ही यह बात भी मन में आता है कि आखिर क्यों इस दिन को स्वतंत्रता दिवस के लिए चुना गया?

प्रत्येक वर्ष भारत में 15 अगस्त को स्वन्त्रता दिवस के रुप में मनाया जाता है। भारत के लोगों के लिये ये दिन बहुत महत्वपूर्ण होता है। वर्षों की गुलामी के बाद ब्रिटिश शासन से इसी दिन भारत को आजादी मिली। 15 अगस्त 1947 को ब्रिटिश साम्राज्य से देश की स्वतंत्रता को सम्मान देने के लिये पूरे भारत में राष्ट्रीय और राजपत्रित अवकाश के रुप में इस दिन को घोषित किया गया है। (Happy Independence Day 2018 WhatsApp Messages, Facebook Status:अपने दोस्तों को ऐसे दें स्वतंत्रता दिवस की बधाईयां )

अंग्रेजों से आजादी पाना भारत के लिये आसान नहीं था लेकिन कई महान लोगों और स्वतंत्रता सेनानियों ने इसे सच कर दिखाया। अपने सुख, आराम और आजादी की चिंता किये बगैर उन्होंने अपने भावी पीढ़ी की आजादी के लिये अपना जीवन बलिदान कर दिया। पूर्ण स्वराज प्राप्त करने के लिये हिंसात्मक और अहिंसात्मक सहित इन्होंने कई सारे स्वतंत्रता आंदोलन को आयोजित किये तथा उस पर कार्य किया। आजादी के बाद भारत से पाकिस्तान अलग बंट गया जो कि हिंसात्मक दंगों को भी साथ लाया। अपने घरों से लोगों का विस्थापन (15 लाख लोगों से अधिक) और बड़ी संख्या में जनहानि का कारण ये डरावना दंगा था।

इस दिन पर, सभी राष्ट्रीय, राज्य तथा स्थानीय सरकार के कार्यालय, बैंक, पोस्ट ऑफिस, बाजार, दुकानें, व्यापार, संस्थान आदि बंद रहते है। हालांकि, सार्वजनिक परिवहन बिल्कुल प्रभावित नहीं होता है। इसे बहुत उत्साह के साथ भारत की राजधानी दिल्ली में मनाया जाता है जबकि स्कूल, कॉलेज और सार्वजनिक समुदाय तथा समाज सहित दूसरे शिक्षण संस्थानों में भी मनाया जाता है। (Nag Panchami 2018:12 प्रकार के हैं मुख्‍य काल सर्पदोष, जानें नाग पचंमी के दिन कैसे पाएं सर्पदोष से निजात )

आजाद भारत का इतिहास

17वीं शताब्दी के दौरान कुछ यूरोपियन व्यापारियों द्वारा भारतीय उपमहाद्वीप के सीमा चौकी पर प्रवेश किया गया। अपने विशाल सैनिक शक्ति की वजह से ब्रिटीश ईस्ट इंडिया कंपनी द्वारा भारत को गुलाम बना लिया गया। 18 शताब्दी के दौरान पूरे भारत में अंग्रेजों ने अपना स्थानीय साम्राज्य और असरदार ताकत स्थापित कर लिया था। 1857 में ब्रिटीश शासन के खिलाफ भारत के लोगों द्वारा एक बहुत बड़े स्वतंत्रता क्रांति की शुरुआत हो चुकी थी। उस गदर को महान गदर कहा जाता है, 1857 का विद्रोह, भारतीय बगावत, 1857 का पठान और सिपाहीयों का विद्रोह। 10 मई 1857 में बंगाल प्रांत में ब्रिटीश ईस्ट इंडिया कंपनी आर्मी के खिलाफ इसकी शुरुआत हो गई। उस विद्रोह के द्वारा (1858 का अधिनियम भारत सरकार), भारत को नियंत्रण मुक्त करने का एहसास ब्रिटीश राज को भारतीय स्वतंत्रता सेनानीयों ने दिलाया।

1857 की बगावत एक असरदार विद्रोह था जिसके बाद पूरे भारत से कई सारे नगरीय समाज उभरे। उनमें से एक भारतीय राष्ट्रीय काँग्रेस पार्टी थी जिसका निर्माण वर्ष 1885 हुआ। पूरे राष्ट्र में असंतोष और उदासी के काल ने अहिंसात्मक आंदोलनों (असहयोग और सविनय अवज्ञा आंदोलन) को बढ़ावा दिया जिसका नेतृत्व गांधी जी ने किया।

लाहौर में 1929 में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस अधिवेशन में, भारत ने पूर्ण स्वराज की घोषणा की। इसके पहले, 1930 से 1947 के बीच भारतीय स्वतंत्रता दिवस के रुप में 26 जनवरी को घोषित किया गया। सविनय अवज्ञा आंदोलन के लिये भारतीय राष्ट्रीय काँग्रेस द्वारा भारतीय नागरिकों से निवेदन किया गया था साथ ही साथ भारत के पूर्ण स्वतंत्रता तक आदेशों का पालन समय से करने के लिये भी कहा गया।

द्वितीय विश्व युद्ध के बाद 1947 में ब्रिटिश सरकार आश्वस्त हो चुकी थी कि वो लंबे समय तक भारत को अपनी शक्ति नहीं दिखा सकती। भारतीय स्वतंत्रता सेनानी लगातार लड़ रहे थे और तब अंग्रेजों ने भारत को मुक्त करने का फैसला किया हालाँकि भारत की आजादी (15 अगस्त 1947) के बाद हिन्दू-मुस्लिम दंगे हुए जिसने भारत और पाकिस्तान को अलग कर दिया।

मोहम्मद अली जिन्ना पाकिस्तान के प्रथम गवर्नर जनरल बने जबकि पंडित जवाहर लाल नेहरु आजाद भारत के प्रथम प्रधानमंत्री। दिल्ली, देश की राजधानी में एक आधिकारिक समारोह रखा गया जहाँ सभी बड़े नेता और स्वतंत्रता सेनानियों (अबुल कलाम आजद, बी.आर.अंबेडकर, मास्टर तारा सिंह, आदि) ने इसमें भाग लेकर आजादी का पर्व मनाया। बंटवारे की हिंसा के दौरान बड़ी संख्या में दोनों तरफ से लोग मरे जबकि दूसरे क्षेत्र के लोगों ने स्वतंत्रता दिवस मनाया था। संवैधानिक हॉल, नई दिल्ली में राष्ट्रपति राजेन्द्र प्रसाद के नेतृत्व में 14 अगस्त को 11 बजे रात को संवैधानिक सभा की 5वीं मीटींग रखी गई थी जहाँ जवाहर लाल नेहरु ने अपना भाषण दिया था।

15 अगस्त 1947 की मध्यरात्री, जवाहर लाल नेहरु ने भारत को स्वतंत्र देश घोषित किया जहाँ उन्होंने “ट्रीस्ट ओवर डेस्टिनी” भाषण दिया था। उन्होंने अपने भाषण के दौरान कहा कि “बहुत साल पहले हमने भाग्यवधु से प्रतिज्ञा की थी और अब समय आ गया है जब हम अपने वादे को पूरा करेंगे, ना ही पूर्णतया या पूरी मात्रा में बल्कि बहुत मजबूती से। मध्यरात्री घंटे के स्पर्श पर जब दुनिया सोती है, भारत जीवन और आजादी के लिये जागेगा। एक पल आयेगा, जो आयेगा, लेकिन इतिहास में कभी कभार, जब हम पुराने से नए की ओर बढ़ते है, जब उम्र खत्म हो जाती है और राष्ट्र की आत्मा जो लंबे समय से दवायी गयी थी उसको अभिव्यक्ति मिल गयी है। आज हमने अपने दुर्भाग्य को समाप्त कर दिया और और भारत ने खुद को फिर से खोजा”।

इसके बाद, असेंबली सदस्यों ने पूरी निष्ठा से देश को अपनी सेवाएं देने के लिये कसम खायी। भारतीय महिलाओं के समूह द्वारा असेंबली को आधिकारिक रुप से राष्ट्रीय ध्वज प्रस्तुत किया था। अतत: भारत आधिकारिक रुप से स्वतंत्र देश हो गया, और नेहरु तथा वाइसराय लार्ड माउंटबेटन, क्रमश: प्रधानमंत्री और गवर्नर जनरल बने। महात्मा गांधी इस उत्सव में शामिल नहीं थे। वो कलकत्ता में रुके थे और हिन्दु तथा मुस्लिम के बीच शांति को बढ़ावा देने केलिये 24 घंटे का व्रत रखा था।

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