नई दिल्ली: हिंदू धर्म ग्रंथों और शास्त्रों में इस कार्तिक मास का बहुत अधिक महत्व है। इस बार कार्तिक मास 17 अक्टूबर से शुरू होकर 14 नवंबर तक है। इस दिनों का जप, तप करने का बहुत अधिक महत्व है। इस दिनों सही ढंग से पूजा-पाठ करने से शुभ फल मिलते है। साथ ही आपकी हर मनोकामना पूर्ण होती है।
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स्कंद पुराण में कार्तिक मास के सभी महीनों को सभी तीर्थों से श्रेष्ठ माना जाता है। इस मास में स्नान और दीपदान बहुत महत्वपुर्ण है। माना जाता है कि इस मास में पवित्र नही में स्नान करने से कुंभ में स्नान करने के समान फल मिलता है। इसलिए इस मास में स्नान जरुर करना चाहिए। माना जाता है कि इस मास में आप जितना दान, तप, व्रत रखेगा। आपके ऊपर उतना ही श्री हरि विष्णु की कृपा जरूर होगी। वह परम कृपा का भागीदार होगा।
कार्तिक मास का महत्व
पुराणों में भी इस मास का उल्लेख मिलता है।
न कार्तिक समो मासो न कृतेन समं युगम्।न वेदसद्दशं शास्त्रं न तीर्थ गंगा समम्।।
इसका मलतब है कि कार्तिक मास के समान कोई दूसरा मास श्रेष्ठ नही है, जैसे कि सतयुग के समान कोई युग, वेद के समान कोई शास्त्र नही और गंगा जी के समान कोई दूसरी नदी नही है।
मासानां कार्तिक: श्रेष्ठो देवानां मधुसूदन।तीर्थं नारायणाख्यं हि त्रितयं दुर्लभं कलौ।।
साथ ही स्कंद पुराण वै. खं. कां. मा. 1/14 में विष्णु भगवान ने कहा है कि कार्तिक मास से सभी मास से श्रेष्ठ और दुर्लभ है।
पद्मपुराण के अनुसार कार्तिक माह में यक्षों की पूजा की जाती है। इस समय देव, गंधर्व, ऋषि आदि गंगा स्नान के लिए आते हैं तथा पवित्र तीर्थों में निवास करते हैं। जहां इस मास में स्वास्थ्य की प्राप्ति के लिए भगवान धन्वंतरी की आराधना की जाती है तो यम को संतुष्ट कर पूर्ण आयु का वरदान पाने का अवसर भी रहता है।
हिंदू पुराणों में इस बारें में अधिक गहराई से बताया गया है कि कार्तिक मास में व्यक्ति के लिए अच्छी सेहत, उन्नति और मनोकामनाओं की पूर्ति के लिए होता है। कार्तिक मास का नाम शास्त्रों में दामोदर मास नाम से भी मिलता है। इस मास में विधि विधान से काम करने से सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती है।
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