नई दिल्ली: कार्तिक मास शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि को त्योहार मनाया जाता है। गोवर्धन का त्योहार दीपावली के एक दिन बाद मनाया जाता है। इस बार 12 नवंबर को मनाया जा रहा है। इस पूजा का भी अपना एक विशेष महत्व है।
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इस त्योहार को सबसे ज्यादा श्री कृष्ण की जन्मभूमि में यानी कि मथुरा, काशी, गोकुल, वृ्न्दावन में मनाया जाता है। इस दिन घर के आंगन में गोवर्धन पर्वत को गाय के गोबर से बनाया जाता है। साथ ही ब्रज भूमि में गोवर्धन पर्व को मानवाकार रुप में मनाया जाता है। यहां पर गोवर्धन पर्वत उठाये हुए, भगवान श्री कृ्ष्ण के साथ साथ उसके गाय, बछडे, गोपिया, ग्वाले आदि भी बनाये जाते है। इसके बाद इन्हें मोर पंख से सजाया जाता है।
गोवर्धन पूजा के दिन विशेष रूप से गाय-बैलों को भी सजाया जाता है। जिनके पास गाय होती है, वह गायों को प्रात: स्नान करा कर, उन्हें कुमकुम, अक्षत, फूल-मालाओं से सजातें है। इसके साथ ही गोवर्धन को गोबर से बना कर पूजा की जाती है। माना जाता है कि इस दिन गायों की सेवा करने से आपका कल्याण होता है।
गोवर्धन को गोबर से बनाकर इसमें रुई और करवे की सीके लगाकर पूजा की जाती है। गोबर पर खील, बताशे ओर शक्कर के खिलौने चढाये जाते है। इसके बाद शाम को रोज इनके सामने दीपक जलाया जाता है।
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