Mahavir Jayanti
ऐसे बनाया भारत को चंदन
भगवान महावीर ने वर्षों से चली आ रही सामाजिक विसंगतियों को दूर कर भारत की मिट्टी को चंदन बनाया। महावीर के व्यवहार के बारें में कहा जाता है कि जो भी प्राप्त करना है, अपने पराक्रम से प्राप्त करो। किसी से मांग कर प्रार्थना करके, हाथ जोड़कर प्रसाद के रूप में धर्म प्राप्त नहीं किया जा सकता।
धर्म मांगने से नहीं, स्वयं धारण करने से मिलता है। जीतने से मिलता है। जीतने के लिए संघर्ष आवश्यक है। समर्पण जरूरी है। महावीर स्वामी कोई प्रचारक, उपदेशक, विचारक नहीं थे बल्कि उन्होंने अपने आचरण से अपने विचारों को कार्यरूप में परिणित किया था।
महावीर का था ये मार्ग
महावीर का मार्ग भक्ति का नहीं, ज्ञान और कर्म का मार्ग है। आत्मकल्याण के लिए हमें आत्मजागरणपूर्वक अपनी चैतन्यता को जाग्रत करना चाहिए। अपनी हीनता, असहायता और दुर्बलता के बोध को विसर्जन कर देना चाहिए।
ये थे महावीर स्वामी ते सूत्र वाक्य
स्वामी जी के सूत्र वाक्य है आत्म ज्ञानी बनो, उनके इस उद्घोषक का अर्थ है। हमें स्वयं के भीतर झांकना होगा। अपनी आंतरिक शक्तियों का जागरण ही। आत्मबोध की ओर अग्रसर करता है।
जानिए महावीर से सफलताओं की ओर जाने के लिए अहम बातें
तुम बाहरी शत्रुओं से लड़ो, क्रोध, मान, माया, लोभ जैसी दुष्टप्रवृत्तियों को जीतो, मनवचन और कार्य से व्यवहार करो, तो तुम महान बनोगे और तुम्हारा भी कोई शत्रु नहीं रहेगा।
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