Govardhan Puja 2019: गोवर्धन पूजा 28 अक्टूबर को, जानें शुभ मुहूर्त, पूजा विधि, प्रसाद और वैज्ञानिक महत्व
कार्तिक शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि शुरु हो जाएगी। जिसके साथ ही गोवर्धन पूजा और बलि प्रतिपदा है का पर्व मनाया जाएगा।
कार्तिक कृष्ण पक्ष की उदया तिथि अमावस्या और सोमवार का दिन है । अमावस्या की रात यानि दीवाली की रात बीत चुकी है। अमावस्या तिथि 28 अक्टूबर की सुबह 09 बजकर 09 मिनट तक ही रहेगी, उसके बाद कार्तिक शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि शुरु हो जाएगी। जिसके साथ ही गोवर्धन पूजा और बलि प्रतिपदा है का पर्व मनाया जाएगा। इस बार गोवर्धन पूजा 28 अक्टूबर, सोमवार को पड़ रही है। जानें शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और वैज्ञानिक महत्व।
गोवर्द्धन पूजा तिथि, शुभ मुहूर्त
प्रतिपदा तिथि प्रारंभ: सुबह 09 बजकर 08 मिनट से (28 अक्टूबर)
प्रतिपदा तिथि समाप्त: सुबह 9 बजकर 13 मिनट तक (29 अक्टूबर)
गोवर्द्धन पूजा मुहूर्त: दोपहर 03 बजकर 23 मिनट से शाम 05 बजकर 36 मिनट तक
ऐसे करें गोवर्धन पूजा
इस दिन गाय के गोबर से गोवर्धन की मनुष्य स्वरूप आकृति बनायी जाती है और शाम के समय सोलह उपचारों के साथ उसकी पूजा की जाती है । कुछ जगहों पर पर्वत के समान आकृति बनाकर भी गोवर्धन की पूजा की जाती है। आज के दिन गोवर्धन बनाकर उसे फूल आदि से सजाना चाहिए और शाम को उचित विधि से धूप-दीप, खील-बताशे से गोवर्धन की पूजा करके, उसके चारों ओर सात परिक्रमा लगानी चाहिए। वैसे तो मथुरा स्थित गोवर्धन पर्वत की परिक्रमा लगाने का विधान है, लेकिन जो लोग वहां नहीं जा सकते, वो घर पर ही आज के दिन गोवर्धन की पूजा करके उसकी परिक्रमा कर सकते हैं। इससे वास्तविक गोवर्धन पर्वत की परिक्रमा के समान ही फल मिलता है। इससे जीवन की गति कभी कम नहीं होती और यात्रा सुगम होती है।
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गोवर्धन का त्योहार का वैज्ञानिक दृष्टि से महत्व
गोवर्धन का यह त्यौहार वैज्ञानिक दृष्टि से भी बहुत महत्व रखता है। ग्रामीण इलाकों में या कच्चे मकानों में लोग आज भी इस दिन गाय के गोबर से अपने घरों को लीपते हैं। दरअसल बारिश के दौरान बहुत से बैक्टिरिया या कीटाणु पैदा हो जाते हैं, जिससे बिमारियों का खतरा बढ़ जाता है और गाय के गोबर में इन बैक्टिरिया से लड़ने की ताकत होती है। अतः गाय के गोबर से घर को लिपने से सारे बैक्टिरिया या कीटाणु अपने आप मर जाते हैं और किसी प्रकार की बिमारी का खतरा भी नहीं रहता।
प्रसाद बनाएं कुछ ऐसा
गोवर्धन पूजा को अन्नकूट के नाम से भी जाना जाता है। स्मृतिकौस्तुभ के पृष्ठ 174 पर इसका जिक्र मिलता है। इस दिन घरों व मन्दिरों में अन्नकूट के रूप में कढ़ी, चावल, बाजरा और हरी सब्जियां मिलाकर बनाया गया भोजन खाने की और प्रसाद के रूप में बांटने की परंपरा है। कहते हैं आज के दिन जो व्यक्ति गोवर्धन के प्रसाद के रूप में ये सब चीज़ें खाता है और दूसरों को भी खिलाता है या दान करता है, उसके घर में अन्न के भंडार हमेशा भरे रहते हैं। भविष्योत्तर पुराण के पृष्ठ- 140-47-73 पर भी चर्चा है कि इस दिन किया गया दान अक्षय हो जाता है और भगवान विष्णु का आशीर्वाद मिलता है।
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गौ पूजा का है महत्व
अन्नकूट के अलावा आज के दिन गौ पूजा का विशेष महत्व है। देवल ऋषि की देवल स्मृति के अनुसार आज के दिन गायों की पूजा की जानी चाहिए । आज के दिन गायों को दुहा नहीं जाता, बल्कि उनकी सेवा की जाती है। आज के दिन गायों के सिंगों पर तेल और गेरू लगाना चाहिए और उनके खुरों को अच्छे से साफ करना चाहिए।.... ऐसा करने से गौ माता के आशीर्वाद से आपके ऊपर कभी भी कोई संकट नहीं आयेगा और आपकी तरक्की होगी।