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गोपाष्टमी 8 को: ऐसे करें गायों की पूजा, आएगी सुख-समृद्धि

कार्तिक शुक्ल पक्ष अष्टमी को गोपाष्टमी के रूप में मनाया जाता है। मुख्य रूप से यह त्योहार कृष्ण की नगरी में मनाया जाता है। इस दिन भगवान श्रीकृष्ण ने गौ चारण लीला शुरू की थी। इस बार गोपाष्टमी 8 नंवबर, मंगलवार को है। जानिए कथा और पूजा विधि के बारें में.

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धर्म डेस्क: कार्तिक शुक्ल पक्ष अष्टमी को गोपाष्टमी के रूप में मनाया जाता है। मुख्य रूप से यह त्योहार कृष्ण की नगरी में मनाया जाता है। इस दिन भगवान श्रीकृष्ण ने गौ चारण लीला शुरू की थी। इस बार गोपाष्टमी 8 नंवबर, मंगलवार को है।

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कुछ लोग मानते है कि इस दिन श्री कृष्ण गायों को चराने गए जिसके कारण इसका नाम 'गोपाष्टमी' पड़ा। यह पर्व दूसरे पर्व की तरह ही धूमधाम से मनाया जाता है। गोपाष्टमी के दिन एक आस्था यह भी है कि इस दिन गाय के नीचे से निकलने पर बड़े पुण्य की प्राप्ति होती है। हिंदू धर्म में गाय को माता के बराबर माना जाता है।

यह पर्व ब्रज प्रदेश का मुख्य त्यौहार है। जो गऊओं को पालते हैं। वहां इसे प्रमुखता से मनाया जाता है। अब धर्मनगरी में भी इसे बड़े स्तर पर मनाया जाने लगा है। गोपाष्टमी के दिन गौमाता की पूजा विधि-विधान से की जाती है। माना जाता है कि इस दिन गौमाता की पूजा करने से कामधेनु गाय की पूजा करने के बराबर फल मिलता है। जिससे परिवार में सुख-शांति रहती है। जानिए इसकी पूजा विधि और गोपाष्टमी मनानें के कारण के बारें में।

ऐसे करें पूजा
इस दिन सुबह ब्रह्म मुहूर्त में उठकर अपने सभी नित्य कामों से निवृत्त होकर स्नान करें। इसके बाद गौमाता के अंग में मेहंदी, हल्दी, रंग के छापे आदि लगाकर सजाएं। साथ ही इस बात का ध्यान रहे कि गौमाता की पूजा अकेले न करें। इनके साथ बछड़े की भी पूजा करें।

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