गणेश चतुर्थी को 'चंद्र दर्शन' किया तो लगेंगे झूठे आरोप, भूल से दिख जाए चांद तो करें ये उपाय
पुराणों में गणेश चतुर्थी के दिन चांद को देखने की मनाही है। अगर भूलवश चांद देख लिया तो क्या किया जाए, यहां जानिए।
देशभर में 10 सितंबर को धूमधाम से गणेश चतुर्थी का पर्व मनाने की तैयारियां चल रही है। मान्यताओं के अनुसार गणेश चतुर्थी को कलंक चतुर्थी भी कहा जाता है और इस दिन चंद्र दर्शन करना निषेध माना जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार गणेश चतुर्थी के दिन चांद देखने पर झूठे आरोप और कलंक लग जाते हैं। चलिए जानते हैं कि आखिर इस प्रथा के पीछे क्या कारण है।
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दरअसल गणेश पुराण में चंद्र दर्शन को लेकर बनी इस निषेध प्रथा के पीछे की कहानी कही गई है। गणेश पुराण में बताया गया है कि भगवान गणेश ने चंद्रमा को शाप दिया था जिसके कारण गणेश चतुर्थी के दिन जो भी चंद्रमा को देखेगा उस पर झूठे आरोप लगेंगे और उसे कलंकित किया जाएगा।
गणेश जी के इस शाप से भगवान कृष्ण भी नहीं बच पाए। उन्होंने गणेश चतुर्थी के दिन चंद्र दर्शन किए तो उन पर स्यामंतक मणि चोरी करने का झूठा कलंक लग गया था।
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आखिर श्री गणेश ने चंद्रमा को किस कारण ऐसा शाप दिया था। इसके पीछे भी एक कथा है। जब भगवान शिव ने गणेश जी के सिर को धड़ से अलग करने के बाद माता पार्वती के क्रोध को देखा तो वो पश्चाताप करने लगे। फिर उन्होंने एक गजराज का सिर गणपति के धड़ से जोड़ दिया। इसके बाद सभी देवता गणपति की वंदना करने लगे लेकिन चंद्रमा उन्हें देखकर उपहास से मुस्कुरा रहे थे। तब भगवान गणेश ने क्रोधित होकर चंद्रमा को शाप दिया कि जिस खूबसूरती के बल पर तुम इतरा रहे हो और दूसरों का उपहास कर रहे हो, वही खूबसूरती कलंक का कारण बनेगी। वो दिन गणेश चतुर्थी थी, उसी दिन शाप मिला कि जो इस दिन यानी भादपद्र शुक्ल की चतुर्थी को जानबूझ कर या अंजाने में ही चंद्रमा के दर्शन कर लेगा उसे झूठे और मिथ्या आरोप का सामना करना पड़ेगा।
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लेकिन अगर भूलवश आपने इस दिन चांद देख लिया ...तब क्या करें?
श्रीमदभगवतगीता के दसवें स्कंध 56-57 अध्याय में इस बात की जानकारी दी गई है कि श्री कृ्ष्ण भी चतुर्थी के दिन इस शाप से नहीं बच पाए थे औऱ उन पर उनके मित्र प्रसेनजीत की हत्या और सर्य की स्यामंतक मणि को चोरी कर लेने का आरोप लगा था।
यहां कहा गया है कि अगर आप गलती से या भूलवश इस दिन चंद्रमा देख लेते हैं तो भगवतगीता में इस कथा को सुनने से मिथ्या कलंक की संभावना घट जाएगी।
इसके अलावा जातक श्री गणेशाय नम: का 108 बार जप करके श्री गणपति को दूर्वा सिंदूर अर्पित करके विघ्न का निवारण कर सकता है औऱ उसे इस कलंक आरोपण से मुक्ति मिल जाएगी।