Ganesh Chaturthi 2020: इन 6 ट्रिक्स को करें ट्राई, चुटकियों में समझ जाएंगे कौन सी मूर्ति है मिट्टी की और कौन सी पीओपी से बनी
अगर आप भी बप्पा की मूर्ति बाजार से लेने जा रहे हैं तो आपके लिए ये जानना बहुत जरूरी है कि मिट्टी की मूर्ति और प्लास्टर ऑफ पेरिस की मूर्ति में कैसे पहचान करें।
गणेश जी की मूर्ति बाजार में लेने जाएं तो सबसे पहले लोग इस बात को लेकर ही कन्फूज रहते हैं कि जो मूर्ति वो देख रहे हैं वो प्लास्टर ऑफ पेरिस (पीओपी) से बनी है या फिर मिट्टी से। कई बार हाथ में मूर्ति को पकड़ने और उसे अच्छी तरह से देखने के बाद भी ये पहचान कर पाना मुश्किल होता है। यहां तक कि कई बार वो दुकानदार से भी पूछते हैं। कई दुकानदार तो पूछने पर बता देते हैं कि कौन सी मूर्ति किस मटीरियल से बनी है तो कुछ सच नहीं बोलते। अगर आप भी बप्पा की मूर्ति बाजार से लेने जा रहे हैं तो आपके लिए ये जानना बहुत जरूरी है कि मिट्टी की मूर्ति और प्लास्टर ऑफ पेरिस की मूर्ति में कैसे पहचान करें।
मिट्टी और प्लास्टर ऑफ पेरिस से बनी मूर्ति में ऐसे करें पहचान
- गणेश जी की मूर्ति मिट्टी की बनी है या नहीं इसे आप सबसे पहले भार से पता कर सकते हैं।
- मिट्टी से बनी प्रतिमा हमेशा पीओपी यानी कि प्लास्टर ऑफ पेरिस से बनी मूर्ति की अपेक्षा भारी होगी। ऐसा इसलिए क्योंकि मिट्टी की मूर्ति के अंदर चारा और मिट्टी भरी होती है।
- मिट्टी की मूर्ति अंदर से ठोस होती है जबकि पीओपी की मूर्ति अंदर से खोखली होती है।
- प्लास्टर ऑफ पेरिस से बनी प्रतिमा को उंगली से हल्का ठोकने पर खनक की आवाज आती है। इसके विपरीत मिट्टी की मूर्ति में ऐसा नहीं होता।
- मिट्टी की मूर्ति विसर्जन करने पर आसानी से पानी में घुल जाती है जबकि पीओपी से बनी मूर्ति पानी में घुलती नहीं और न ही उसमें डूबती है।
- पीओपी की मूर्तियों पर गहरे और चमकदार रंग से सजावट होती है। इसके साथ ही इन मूर्तियों में मिट्टी की मूर्तियों की तुलना में ज्यादा फिनिशिंग होती है।
मिट्टी की मूर्ति के फायदे
- मिट्टी की मूर्ति सबसे ज्यादा शुद्ध मानी जाती है
- इसे बनाने में किसी भी तरह के केमिकल का इस्तेमाल नहीं होता
- पानी में आसानी से घुल जाने के कारण इस मूर्ति को आप घर पर ही विसर्जित कर सकते हैं
- मिट्टी की मूर्ति इको- फ्रेंडली होती है
- इस मूर्ति से पर्यावरण को कोई नुकसान नहीं पहुंचता है
पीओपी यानी प्लास्टर ऑफ पेरिस की मूर्ति के नुकसान
- ये मूर्ति पानी में नहीं घुलती है
- नदी में विसर्जित करने पर नदी के तल पर जमा हो जाता है। इस पानी को पीने से हाई कैल्शियम की वजह से पथरी भी हो सकती है
- नदी में मौजूद अन्य जीवों के लिए नुकसानदायक
- इन मूर्तियों में हैवी मेटल वाले रंगों का इस्तेमाल किया जाता है तो पानी को दूषित कर देता है
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