धर्म डेस्क: इस्लाम धर्म में ईद का पर्व बहुत ही पवित्र माना जाता है। जो कि शांति और अमन का संदेश देता है। इस दिन हर कोई लड़ाई-झगड़ो को भूलकर एक-दूसरे के गले लगते है। रमजान के रोजे के बाद ईद आता है। जिसके साथ ही रोजे खत्म हो जाते है। आपको बता दें कि रमजान के पूरे माह मुसलमान सिर्फ भूखे-प्यासे नहीं रहते है बल्कि इससे जीवन में संयम और शांति घारण करने का संदेश मिलता है।
ईद का संबंध चांद से बहुत अधिक है। अगर चांद दिखा तो दूसरे दिन ईद मनाई जाएंगी। इस साल 15 या फिर 16 मई को ईद पड़ रही है। जो कि चांद के दिखने पर ही निर्भर है। अगर 14 मई की रात को भारत में चांद दिख गया तो 15 को ईद मनाई जाएगी। अगर 16 मई को दिखा तो 16 णई को ईद मनाई जाएंगी।
‘मीठी ईद‘ भी कहा जाने वाला यह पर्व खासतौर पर भारतीय समाज के ताने-बाने और उसकी भाईचारे की सदियों पुरानी परंपरा का वाहक है। इस दिन विभिन्न धर्मों के लोग गिले-शिकवे भुलाकर एक-दूसरे से गले मिलते हैं और सेवइयां अमूमन उनकी तल्खी की कड़वाहट को मिठास में बदल देती हैं। ऑल इण्डिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के वरिष्ठ सदस्य मौलाना खालिद रशीद फरंगी महली का कहना है कि ईद बेशक रोजेदारों को अल्लाह का इनाम है लेकिन मुसलमानों के लिये यह भी जरूरी है कि वे रमजान में छोड़ी गयी बुराइयों को दोबारा अपनी जिंदगी में ना आने दें। यह रमजान और इस्लाम की रूह से जुड़ी बात है।
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