A
Hindi News लाइफस्टाइल जीवन मंत्र Dussehra 2019: जानें क्यों मनाते हैं दशहरा, जानिए विजयदशमी का शुभ मुहूर्त और महत्व

Dussehra 2019: जानें क्यों मनाते हैं दशहरा, जानिए विजयदशमी का शुभ मुहूर्त और महत्व

आश्विन शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि मंगलवार को दशहरा यानी विजयदशमी का त्योहार मनाया जाएगा।

dussehra- India TV Hindi Image Source : MINTFARES dussehra

Dussehra 2019: आश्विन शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि मंगलवार को दशहरा यानी विजयदशमी का त्योहार मनाया जाएगा। दशमी तिथि 07 अक्टूबर की दोपहर 12 बजकर 39 मिनट से शुरू हो जाएगी जो 08 अक्टूबर की दोपहर 02 बजकर 50 मिनट तक रहेगी। इसके साथ ही पूरा दिन पार करके रात के 8 बजकर 12 मिनट तक सारे काम बनाने वाला रवि योग रहेगा । इसी दिन बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक ‘विजयदशमी’ का त्योहार मनाया जायेगा। पुराणों के अनुसार रावण पर भगवान श्री राम की जीत के उपलक्ष्य में विजयदशमी का ये त्योहार मनाया जाता है। आज के दिन अपना कोई खास काम करने से आपकी जीत सुनिश्चित होती है। इस बार विजयदशमी या दशहरा 8 अक्टूबर, मंगलवार को है।

आचार्य इंदु प्रकाश के अनुसार  विजयदशमी साल की तीन सबसे शुभ तिथियों में से एक है। अन्य दो तिथियां चैत्र शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा और कार्तिक शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा है। हेमाद्रि के व्रत भाग-1 और पृष्ठ- 970 से 973 तक, निर्णयसिन्धु के पृष्ठ- 69 से 70, पुरुषार्थ चिन्तामणि के पृष्ठ- 145 से 148, व्रतराज के पृष्ठ- 359 से 361, धर्मसिन्धु के पृष्ठ-96 आदि में विजयदशमी का विस्तृत वर्णन किया गया है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार विजयदशमी के दिन अगर श्रवण नक्षत्र हो तो ये तिथि और भी शुभ हो जाती है और इस दिन भी श्रवण नक्षत्र भी है।

Dussehra 2019: दशहरा के दिन नीलकंठ के दर्शन और आम के बौर को सूंघने माना जाता है शुभ, शस्त्रों की भी होती है पूजा

दशहरा का महत्व
यह त्यौहार भगवान श्री राम की कहानी तो कहता ही है जिन्होंने लंका में 9 दिनों तक लगातार चले युद्ध के पश्चात अंहकारी रावण को मार गिराया और माता सीता को उसकी कैद से मुक्त करवाया। वहीं इस दिन मां दुर्गा ने महिषासुर का संहार भी किया था इसलिए भी इसे विजयदशमी के रुप में मनाया जाता है और मां दूर्गा की पूजा भी की जाती है। माना जाता है कि भगवान श्री राम ने भी मां दूर्गा की पूजा कर शक्ति का आह्वान किया था, भगवान श्री राम की परीक्षा लेते हुए पूजा के लिए रखे गये कमल के फूलों में से एक फूल को गायब कर दिया। चूंकि श्री राम को राजीवनयन यानि कमल से नेत्रों वाला कहा जाता था इसलिये उन्होंनें अपना एक नेत्र मां को अर्पण करने का निर्णय लिया ज्यों ही वे अपना नेत्र निकालने लगे देवी प्रसन्न होकर उनके समक्ष प्रकट हुई और विजयी होने का वरदान दिया। माना जाता है इसके पश्चात दशमी के दिन प्रभु श्री राम ने रावण का वध किया। भगवान राम की रावण पर और माता दुर्गा की महिषासुर पर जीत के इस त्यौहार को बुराई पर अच्छाई और अधर्म पर धर्म की विजय के रुप में देशभर में मनाया जाता है।

दशहरा के दिन अपराजिता और शमी की पूजा का है विशेष लाभ, जानें पूजा विधि

देश में ऐसे मनाया जाता है दशहरा
देश के अलग-अलग हिस्सों में इसे मनाने के अलग अंदाज भी विकसित हुए हैं। कुल्लू का दशहरा देश भर में काफी प्रसिद्ध है तो पश्चिम बंगाल, त्रिपुरा सहित कई राज्यों में दुर्गा पूजा को भी इस दिन बड़े पैमाने पर मनाया जाता है।

Vastu Tips: नवरात्र में स्वास्तिक बनाना माना जाता है शुभ, घर से दूर करता है नकारात्मक ऊर्जा

दशहरा का शुभ मुहूर्त
विजय मुहूर्त: अगर आपको किसी भी कार्य करके अपनी जीत सुनिश्चित करनी है तो 8 अक्टूबर दोपहर 01 बजकर 42 मिनट से लेकर 02 बजकर 29 मिनट तक कर सकते है।
अपराह्न पूजा समय- 13:17 से 15:36
दशमी तिथि आरंभ- दोपहर 12:39 (7 अक्तूबर)
दशमी तिथि समाप्त- 14:50 मिनट (8 अक्तूबर)

मनाने का कारण
पौराणिक कथाओं के अनुसार जब भगवान 14 वर्षों के वनवास में थे तो लंकापति रावण ने उनकी पत्नी माता सीता का अपहरण कर उन्हें लंका की अशोक वाटिका में बंदी बना कर रखा लिया था। श्रीराम ने अपने छोटे भाई लक्ष्मण, भक्त हनुमान और वानर सेना के साथ रावण की सेना से लंका में ही पूरे नौ दिनों तक युद्ध लड़ा। मान्यता है कि उस समय प्रभु राम ने देवी माँ की उपासना की थी और उनके आशीर्वाद से आश्विन मास की दशमी तिथि पर अहंकारी रावण का वध किया था।

Latest Lifestyle News