धर्म डेस्क: सूर्य हमारे जीवन में प्रकाश और ऊर्जा का सबसे बड़ा स्त्रोत है, इसके बिना तो संसार में जीवन की कल्पना भी न की जा सकती है। जिसके कारण ज्योतिष में इसे किसी भी इंसान का प्राण कहते है। साथ ही इनकी कृपा होने पर आपको हर काम में सऱलता मिलती है। चाहे फिर वह छोटा सा काम हो या फिर बड़ा सा काम हर मामलों में सूर्य होता ही है। हिंदू धर्म में सबसे पहले देवता सूर्य को ही माना जाता है। जोकि आज भी साक्षात रुप में है।
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सूर्य अगर आपकी कुंडली में सही है तो आपको समाज में सम्मान के साथ-साथ उच्च पद, राजकीय पद आदि मिल सकता है। साथ ही परिवार का साथ भी रहता है। साथ ही कई बीमारियों से हमें बचाता है।
अगर आपकी कुंडली में सूर्य कमजोर है तो आपको की परेशानियों से गुजरना पड़ता है। इसलिए इसे बलवान करने के लिए हम कई उपाय करते है। जिससे कि यह हमारी कुंडली में अच्छे योग में हो। इसके लिए हम कई उपाय करते है जैसे कि उनकी पूजा, दान देना आदि।
इन्ही उपायों में से एक उपाय है कि सूर्य देवता को जल चढाना। जब आप सूर्य को जल अर्पित करते है साथ ही नौ ग्रहो की कृपा भी बनी रहती है, लेकिन हमारी ठीक ढंग से जल अर्पित न कर पाने से उसका पल उतना नहीं मिल पाता है। जानिए सूर्य को किस तरह से जल अर्पित करना चाहिए।
सबसे पहले ब्रह्म मुहूर्त में उठकर सभी कामों से निवृत्त होकर स्नान करें और एक लोटे में जल भरकर सूर्य को अर्पित करें। माना जाता है कि ब्रह्म मुहूर्त में में जल चढाने से फल अधिक मिलता है। यानी कि जब सूर्य लाल रंग का होता है और आपको ठीर ढंग से दिखाई देता है।
हमेशा जल को सिर के ऊपर से करें। जिससे कि सूर्य की सातों किरणे आपको शरीर में पड़ें जिससे कि सूर्य के साथ-साथ आपके नौ ग्रह भी मजबूत बनें। इसके बाद सूर्य के सामने हाथ जोड़ कर अपनी प्रार्थना करें। जिससे आपके ऊपर उनकी कृपा बनें।
अगली स्लाइड में जानें सूर्य को जल अर्पित करते समय कौन सी गलतियां न करें
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