धर्म डेस्क: आज मंगलवार के साथ संकष्टी श्री गणेश चतुर्थी व्रत है। प्रत्येक माह में दो चतुर्थी पड़ती हैं। कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को संकष्टी चतुर्थी तथा शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को वैनायकी चतुर्थी कहते हैं। किसी भी पक्ष में जब चतुर्थी मंगलवार के दिन पड़ती है तो यह अंगारकी चतुर्थी कहलाती है। इस बार ये 7 नवंबर, मंगलवार को है।
मंगलवार के दिन चतुर्थी का संयोग अत्यन्त शुभ एवं सिद्धि प्रदान करने वाला माना जाता है। इस दिन विधिवत व्रत करने से पूरे साल भर की चतुर्थियों के व्रत के समान पुण्य फल मिलता है। जो भी व्यक्ति पूरे साल चतुर्थी व्रत नहीं रख सकता या नहीं रख सका, उसे इस खास संयोग का फायदा जरूर उठाना चाहिए। आपके जीवन में कभी कोई विघ्न, कोई बाधा नहीं आयेगी। चतुर्थी के दिन रात को चंद्रोदय के बाद ही व्रत का पारण किया जाता है। आज के दिन रात 8 बजकर 23 मिनट पर चंद्रोदय होगा।
भगवान गणेश को चतुर्थी तिथि का अधिष्ठाता माना जाता है। इसलिए आज चतुर्थी के दिन भगवान गणेश की उपासना की जाती है। भगवान गणेश सभी देवताओं में प्रथम पूज्य एवं विघ्न विनाशक हैं। गणेश जी बुद्धि के देवता हैं, इसलिए इनकी उपासना करने वाला बौद्धिक क्षमताओं से विकसित और अच्छे विचारों से प्रेरित होगा। इस दिन व्रत रखने वाले की समस्त इच्छाओं की पूर्ति होती है।
व्यक्ति को मानसिक तथा शारीरिक कष्टों से छुटकारा मिलता है। साथ ही सबसे बड़ी बात क्योंकि आज मंगल का दिन है और चतुर्थी तिथि है इसलिए आज के दिन मंगल के उपाय करने से हर तरह के कर्ज से छुटकारा पाया जा सकता है।
चाहें किसी भी तरह का कर्जा हो, मकान से जुड़ा हो, गाडी से जुड़ा हो, बिजनेस से जुड़ा हो या फिर बैंक की किस्त से जुड़ा हो, सब कर्जों से आप आज के दिन छुटकारा पा सकते हैं। इन उपायों को करने से कोई भी कर्जदार आपके घर का दरवाजा नहीं खटखटायेगा साथ ही मंगल दोषों से छुटकारा मिलेगा।
- एक थाली या केले का पत्ते लीजिये और उस थाली या पत्ते पर रोली से एक त्रिकोण का निशान बनाएं। अब उस त्रिकोण के निशान के आगे एक दीपक जलाएं और उसके बीच में 900 ग्राम मसूर की दाल और सात खड़ी, यानी साबुत लाल मिर्च रखें और 108 बार ये मंत्र पढ़ें-
'अग्ने सखस्य बोधि नः'
ऋग्वेद के आठवें मंडल के सूक्त 44 की बाईसवीं ऋचा से लिये गये हैं। मंत्र जाप के बाद सारी सामग्री को नदी में प्रवाहित कर दें।
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