सफेद आक की जड़ से करें ये टोटका, बन जाएंगे आप करोड़पति
आक के पौधे को अगर घर के द्वार पर लगा दिया जाये तो किसी भी टोटके का कोई असर नहीं होता, आपका घर सुरक्षित रहता है, आपके घर में बरकत होने लगती है और आर्थिक पक्ष मजबूत बना रहता है। साथ ही घर में धन, यश और कीर्ति बनी रहती है।
धर्म डेस्क: अगर आपकी एक आंख में कोई पीड़ा हो रही है, किसी कारण से दर्द हो रहा है, तो ठीक उसके दूसरे पैर के अंगूठे पर। मान लीजिये कि आपकी बायीं आंख में परेशानी हो रही है तो दायें पैरे के अंगूठे पर और अगर दायीं आंख में परेशानी हो रही है तो बायें पैरे के अंगूठे पर श्वेत आक को दूध से पूरी तरह गीला करके कुछ देर रखने से काफी राहत मिलती है। आक के पौधे को अगर घर के द्वार पर लगा दिया जाये तो किसी भी टोटके का कोई असर नहीं होता, आपका घर सुरक्षित रहता है, आपके घर में बरकत होने लगती है और आर्थिक पक्ष मजबूत बना रहता है। साथ ही घर में धन, यश और कीर्ति बनी रहती है।
यहां कुछ बातों का विशेष ध्यान
जड़ी-बूटी लाते समय पीछे पलटकर कभी नहीं देखना चाहिए।
ब्रहम मुहूर्त किसी भी जड़ी-बूटी या औषधि को प्राप्त करने का सबसे अच्छा समय होता है।
साथ ही अगर जड़ी-बूटियों को रवि पुष्य योग, गुरु पुष्य योग या शनि पुष्य योग में प्राप्त किया जाये तो ये विशेष हितकारी होती हैं।
कैसा होता है सफेद आक का फूल
सफेद आक का पौधा आसानी से कहीं भी मिल सकता है। वैसे अधिकतर यह शुष्क और ऊंची भूमि में देखने को मिलता है। सफेद आक का पौधा करीब 5 फुट चौड़ा और 7 फुट ऊंचा होता है। इसके पत्ते बरगद के पत्तों के समान मोटे होते हैं। सामान्य आक के पत्ते हरे रंग के होते हैं, लेकिन सफेद आक के पत्ते सफेद रंग के ही होते है। तंत्र शास्त्र में सफेद फूल वाले मदार का ही अधिकतर प्रयोग किया जाता है। इसके फल आम के जैसे दिखाई देते हैं, जिन पर सफेद रूई होती है और इनकी शाखाओं से दूध निकलता है।
क्या है सफेद आक का फूल
श्वेत आक के पौधे को गणपति जी का स्वरुप माना जाता है। ऐसा विश्वास किया जाता है कि अगर किसी पुराने श्वेत आक के पौधों की जड़ों को खोदा जाये और उसकी जड़ में से अगर गणेश जी की प्रतिमा प्राप्त होती है, तो यह बहुत ही शुभ माना जाता है। कहते हैं इस प्रतिमा की पूजा करने से सारे दुखों का निवारण हो जाता है। जिस घर में यह प्रतिमा स्थापित की जाए, उस घर में ऋद्धि-सिद्धि और अन्नपूर्णा का भंडार हमेशा रहता है, साथ ही लक्ष्मी जी का निवास रहता है। पुराने समय में साधक मंत्र सिद्धि करके इस प्रतिमा को अपनी पैसों वाली झोली में रखते थे और रखने के बाद जितने मुट्ठी में आये, उतने पैसे निकालते थे। ऐसा विश्वास किया जाता था कि उस झोली में से जितना धन निकाला जायेगा, उतना ही धन दुबारा झोली में आ जायेगा।
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