धर्म डेस्क: आकाश में स्थित 27 नक्षत्रों में से भरणी नक्षत्र को द्वितीय नक्षत्र माना जाता है जिसका अर्थ है- भरण-पोषण करना। भरणी नक्षत्र की राशि मेष है और मेष राशि का स्वामी मंगल है, जबकि भरणी नक्षत्र का स्वामी शुक्र है। साथ ही इस नक्षत्र का संबंध आंवले के वृक्ष से है। अतः भरणी नक्षत्र में शुक्राचार्य और आवंले के वृक्ष की उपासना जरूर करनी चाहिए। साथ ही इस नक्षत्र में कुछ विशेष उपाय करने से शुभ फलों की प्राप्ति होती है।
गुरुवार और भरणी नक्षत्र एक ही दिन पड़ने के कारण इसका लाभ दोगुना मिलेगा। यानी गुरुवार के दिन किया गया कोई भी उपाय आपके लिए दोगुना फल देने वाला होगा। जानिए इस दिन कौन सा उपाय करना आपके लिए फायदेमंद साबित हो सकता है।
सफलता के लिए
यदि लाख परिश्रम के बाद भी आपका कारोबार ठप्प हो गया है या फिर धीमी गति से चल रहा है तो भरणी नक्षत्र में दो हल्दी की गांठ लें और उसे आंवले के पेड़ के पास जमीन में दबा दें। साथ ही अपने कारोबार की तरक्की के लिये मन ही मन प्रार्थना करें। प्रार्थना करने के बाद आंवले के वृक्ष की सात बार परिक्रमा करें। ऐसा करने से आपके कारोबार के नए मार्ग खुलेंगे।
काम में बांधा
जीवन में कई ऐसे अवसर आते हैं जब हर काम में बाधा ही बाधा नजर आती हैं और कोई राह नजर नहीं आती, तो भरणी नक्षत्र में आप आंवले के पेड़ पर लाल रोली और चावल का टीका करें। उसके बाद वृक्ष के नीचे मिट्टी का दीपक जलाकर, उसकी पूजा करें। ऐसा करने से आपके सारे काम बनने लगेंगे।
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