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Hindi News लाइफस्टाइल जीवन मंत्र Diwali 2018: जानिए क्यों मनाई जाती है दीपावली, इस प्रकाश उत्सव के पीछे हैं कई कहानियां

Diwali 2018: जानिए क्यों मनाई जाती है दीपावली, इस प्रकाश उत्सव के पीछे हैं कई कहानियां

हम आपको 6 ऐसे कारण बताने जा रहे हैं जिसकी वजह से इस रौशनी से नहाये त्यौहार को आप और हम सेलिब्रेट करते हैं।

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Diwali 2018: भारत देश में त्यौहारों का काफी महत्व है, खासकर हिंदू धर्म में कई तरह के फेस्टिवल सेलिब्रेट किए जाते हैं। लेकिन दीपावली की रौनक ही अलग होती है। रोशनी से डूबे शहर और गांव बेहद आकर्षित लगते हैं। दिवाली आती है तो अपने साथ कई सारे त्यौहारों की सौगात लेकर आती है, पहले दशहरा, फिर धनतेरस, छोटी दिवाली, बड़ी दिवाली, गोवर्धन पूजा और भाईदूज जैसे कई त्यौहार आते हैं। सिर्फ भारत में ही नहीं विदेशों में भी दिवाली का त्यौहार धूम-धाम से मनाया जाता है।

क्या आप जानते हैं दीपावली क्यों मनाई जाती है, इसके पीछे कई कारण हैं। कुछ तो आपने बचपन से सुने होंगे कुछ हम आपकी जनरल नॉलेज में इजाफा करने वाले हैं। हम आपको 6 ऐसे कारण बताने जा रहे हैं जिसकी वजह से इस रौशनी से नहाये त्यौहार को आप और हम सेलिब्रेट करते हैं।

श्री राम के वनवास खत्म करके आयोध्या लौटने पर

Diwali 2018

यह तो हम सभी जानते हैं कि इसी दिन श्रीराम अपनी पत्नी सीता और भाई लक्ष्मण के साथ आयोध्या वापस लौट आए थे। उनके वापस लौटने की खुशी में उनका पूरा राज्य खुशी से भर गया था। उनके लौटने की खुशी में वहां की प्रजा ने घी के दीये जलाए थे, उस दिन से लेकर आज तक हर कोई इस दिन को सेलिब्रेट करता है। 

बता दें, मंथरा के भड़काए जाने के बाद कैकेयी ने दशरथ और कौशिल्या के पुत्र राम को 14 वर्ष के वनवास का वचन मांगा था, राम के साथ उनकी पत्नी सीता और सुमित्रानंदन भाई लक्ष्मण भी वनवास चल दिए। वहां पर रावण द्वारा सीता का अपहरण हो जाता है। बाद में सुग्रीव और हनुमान की मदद से भगवान राम सीता को वापस पाते हैं और उनके साथ वापस आयोध्या लौटते हैं।

पांडव लौटे थे अपने राज्य

Diwali 2018

महाभारत की कहानी तो आप जानते ही होंगे। शकुनी मामा की चाल में फंसकर पांडवों ने अपना सबकुछ गंवा दिया था। उन्हें 13 साल के अज्ञातवास की सजा मिली थी। कार्तिक की अमावस्या वाले दिन ही पांडव (अर्जुन, भीम, नकुल, सहदेव और युधिष्ठिर) अपने राज्य वापस लौटे थे। उनके लौटने की खुशी में वहां की प्रजा ने दीये जलाकर खुशियां मनाई थी। इसलिए भी दीपावली का त्यौहार मनाया जाता है।

समुद्र मंथन से निकली थीं मां लक्ष्मी

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दीपावली कार्तिक महीने की अमावस्या को मनाई जाती है। इसी दिन समुद्र मंथन से मां लक्ष्मी ने अवतार लिया था। मां लक्ष्मी को धन और वैभव की देवी माना जाता है। इसी वजह से दिवाली वाले दिन हम लोग लक्ष्मी जी की पूजा करते हैं, और वरदान में खूब सारा धन और वैभव मांगते हैं। बता दें, लक्ष्मी के समुद्र मंथन में निकलने से दो दिन पहले सोने का कलश लेकर भगवान धनवंतरी भी अवतरित हुए थे, इसी वजह से दिवाली के दो दिन पहले धनतेरस का त्यौहार मनाया जाता है। 

श्री कृष्ण ने नरकासुर राक्षस का किया था वध​

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दीपावली इसलिए भी मनाई जाती है क्योंकि आज के दिन ही भगवान श्रीकृष्ण ने नरकासुर राक्षस का संहार किया था। नरकासुर प्रागज्योतिषपुर का राजा था, जो अब दक्षिण नेपाल का एक प्रान्त है। नरकासुर बहुत क्रूर राजा था, उसने देवमाता अदिति की कन्याओं को बंधित बनाकर रखा था। देवमाता अदिति श्रीकृष्ण की पत्नी सत्यभामा की संबंधी थीं। भगवान श्रीकृष्ण ने सभी कन्याओं को नरकासुर के चंगुल से छुड़ाया और नरकासुर का वध कर दिया था। दिवाली के अगले दिन इसी वजह से कहीं-कहीं नरक चतुर्दशी मनाई जाती है, इस दिन को लोग शुभ नहीं मानते हैं और कोई भी शुभ कार्य नहीं करते हैं।

 

राजा विक्रमादित्य के राज्याभिषेक की खुशी में 

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राजा विक्रमादित्य प्राचीन भारत के एक महान राजा थे। उनकी उदारता और साहस के किस्से दूर-दूर तक फैले हुए थे।  राजा विक्रमादित्य मुगलों को धूल चटाने वाले भारत के अंतिम हिंदू सम्राट थे। कार्तिक की अमावस्या को उनका राज्याभिषेक हुआ था। इसलिए भी दिवाली मनाई जाती है।

सिक्खों के 6वें गुरु को आजादी मिली थी

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मुगल बादशाह जहांगीर ने सिखों के 52 राजाओं को ग्वालियर के किले में बंदी बना लिया था। हालांकि गुरु को कैद करने के बाद वो परेशान रहने लगा। सपने में उसे एक फकीर ने गुरु गोविंद सिंह को आजाद करने को कहा। सुबह उठकर जहांगीर ने गुरु समेत सभी राजाओं को आजाद कर दिया। सिख समुदाय के लोग इसलिए दिवाली का त्यौहार मनाते हैं।

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