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महोदर
पुराणों के अनुसार माना जाता है कि जब कार्तिकेय ने तारकासुर का वध कर दिया तो दैत्य गुरु शुक्राचार्य ने मोहासुर नाम के दैत्य को ज्ञान देकर देवताओं के खिलाफ खड़ा कर दिया। मोहासुर के उत्पाद से परेशान देवताओं ने गणेश जी की शरण गए। जिसके कारण उन्होनें महोदर अवतार लिया। महोदर का उदर यानी पेट बहुत बड़ा था। वे मूषक पर सवार होकर मोहासुर के नगर में पहुंचे तो मोहासुर ने बिना युद्ध किए ही गणपति को अपना इष्ट बना लिया। तब से इनका नाम महोदर पड़ा।
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