इस शुभ मुहूर्त में करें धन्वंतरि की पूजा
शाम 06:24 से 07:08 तक
शाम 05:58 से रात 08:32 तक (प्रदोष काल)
शाम 06:24 से रात 08:24 तक (वृषभ लग्न)
ऐसे करें पूजा
धनतेरस के दिन सुबह जल्दी उठें और अपने सभी नित्य कामों से निवृत्त होकर स्नान कर लें। इसके बाद अपना रोज की तरह पूजा करें इसके बाद धन्वंतरि की मूर्ति या तस्वीर को पूजा स्थल में स्थापित करें। इस बात का ध्यान रहें कि जब आप भगवान की मूर्ति स्थापित कर रहें हो, तो आपका मुख पूर्व की तरफ पड़े। इसके बाद हाथ में फूल और अक्षत लेकर धन्वंतरि का आवाहन करें-
सत्यं च येन निरतं रोगं विधूतं,
अन्वेषित च सविधिं आरोग्यमस्य।
गूढं निगूढं औषध्यरूपम्, धन्वन्तरिं च सततं प्रणमामि नित्यं।।
इसके बाद चावल और आचमन के लिए जल चढाएं। इसके बाद भगवान को गंध, अबीर, गुलाल पुष्प, रोली, आदि लगाएं। साथ ही चांदी य़ा फिर किसी भी तरह के बर्तन में खीर का भोग लगाएं। भोग के बाद फिर आचमन करें। फिर उनके मुख की शुद्धि के लिए पान, लौंग, सुपारी चढ़ाएं।
भगवान धन्वंतरि को वस्त्र अर्पित करें। साथ ही शंखपुष्पी, तुलसी, ब्राह्मी आदि पूजनीय औषधियां भी भगवान धन्वंतरि को अर्पित करें। इसके बाद रोग नाश की कामना के लिए इस मंत्र का जाप करें-
ऊं रं रूद्र रोग नाशाय धनवंतर्ये फट्।।
इसके बाद भगवान धन्वंतरि को दक्षिणा और श्रीफल चढ़ाएं। और सबसे बाद में भगवान की कपूर से आरती करें।
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