Dhanteras 2021: धनतेरस आज, जानिए तिथि, पूजन का शुभ मुहूर्त और विधि
धनतेरस इस साल दो नवंबर 2021 मंगलवार को पड़ेगा। जानिए धनतेरस का शुभ मुहूर्त और पूजा विधि
धनतेरस के साथ ही पांच दिवसीय दिवाली उत्सव की शुरुआत हो जाती है, जिसमें पहले धनतेरस, नरक चतुर्दशी, दिवाली, गोवर्धन पूजा और आखिर में भैया दूज का त्योहार मनाया जाता है। धनतेरस का त्योहार 2 नवंबर को मनाया जाएगा। माना जाता है कि इस दिन भगवान धन्वन्तरि का जन्म हुआ था। इसलिए धनतेरस को धन्वन्तरि जी के जन्मदिवस के रूप में भी मनाया जाता है। आचार्य इंदु प्रकाश से जानिए धनतेरस का शुभ मुहूर्त, पूजा विधि।
भगवान धन्वन्तरि देवताओं के चिकित्सक माने जाते हैं। इसलिए इस दिन चिकित्सकों के लिये विशेष महत्व रखता है। कुछ समय से इस दिन को ’राष्ट्रीय आयुर्वेद दिवस’ के रूप में भी मनाया जाने लगा है। जैन धर्म में धनतेरस को 'धन्य तेरस' या 'ध्यान तेरस' भी कहते हैं। क्योंकि इस दिन भगवान महावीर ध्यान में गए थे और तीन दिन बाद दिवाली के दिन निर्वाण को प्राप्त हुए थे।
गोधूलि मुहूर्त- शाम 5 बजकर 5 मिनट से 5: बजकर 29 मिनट तक
प्रदोष काल- शाम 5 बजकर 35 मिनट से 8 बजकर 14 मिनट तक
अभिजीत मुहूर्त– सुबह 11 बजकर 42 मिनट से 12 बजकर 26 मिनट तक
त्रिपुष्कर योग- सुबह 6 बजकर 6 मिनट से 11 बजकर 31 तक। इस योग में खरीदारी शुभ रहेगी।
धनतेरस मुहूर्त- शाम 6 बजकर 18 मिनट से 8 बजकर 11 मिनट तक
वैधृति योग- आज शाम 6 बजकर 14 मिनट तक रहेगा
उत्तरा फाल्गुनी नक्षत्र- सुबह 11 बजकर 44 मिनट तक
हस्त नक्षत्र- सुबह 11 बजकर 45 मिनट से 3 नवंबर सुबह 9 बजकर 58 मिनट तक।
Dhanteras 2021: धनतेरस के दिन बिल्कुल भी न खरीदें ये चीजें, हो सकता है अशुभ
धनतेरस की पूजा विधिअच्छे स्वास्थ्य के लिए, आरोग्य प्राप्ति के लिये और अच्छे जीवन के लिये धनतेरस के दिन भगवान विष्णु के अवतार माने जाने वाले धन्वन्तरि जी की पूजा में आपको भगवान धन्वन्तरि की मूर्ति या तस्वीर, लकड़ी की चौकी, धूप, मिट्टी का दीपक, रूई, गंध, कपूर, घी, फल, फूल, मेवा, मिठाई और भोग के लिये प्रसाद, ये सारी चीज़ें चाहिए होंगी । परंपराओं के अनुसार आज सात धान्यों को भी पूजा में रखा जाता है। सात धान्य में गेहूं, उड़द, मूंग, चना, जौ, चावल और मसूर शामिल हैं।
घर के ईशान कोण, यानि उत्तर-पूर्व दिशा के कोने को अच्छे से साफ करें और वहां पर लकड़ी की चौकी बिछाएं। अब उस चौकी पर एक लाल रंग का कपड़ा बिछाएं और उस पर भगवान धन्वन्तरि की मूर्ति या तस्वीर स्थापित करें, साथ ही श्री गणेश भगवान की भी तस्वीर या मूर्ति स्थापित करें। लकड़ी की चौकी की उत्तर दिशा में एक जल से भरा कलश स्थापित करें और उस कलश के ऊपर चावल से भरी कटोरी रखें।
अब उस कलश के मुख पर कलावा बांधे और रोली से स्वास्तिक का चिन्ह बनाएं । इस प्रकार मूर्ति और कलश स्थापना के बाद भगवान का आह्वान करना चाहिए। फिर सबसे पहले गणेश जी की और फिर भगवान धन्वन्तरि की विधिवत पूजा करनी चाहिए। पहले गणेश जी और धन्वन्तरि जी को रोली-चावल का टीका लगाएं । उन्हें गंध, पुष्प अर्पित करें, साथ ही फल और मिठाई चढ़ाएं । इसके बाद भगवान को भोग अर्पित करें।
भोग के लिए दूध, चावल से बनी खीर सबसे अच्छी मानी जाती है । फिर भोग लगाने के बाद धूप, दीप और कपूर जलाएं और भगवान की आरती करें । साथ ही संभव हो तो भगवान
धन्वन्तरि जी के इस मंत्र का पाठ करें । मंत्र है–
ॐ नमो भगवते महासुदर्शनाय वासुदेवाय धन्वंतराये:
अमृत कलश हस्ताय सर्वभय विनाशाय सर्व रोग निवारणाय
त्रिलोकपथाय त्रिलोक नाथाय श्री महाविष्णु स्वरूप
श्री धन्वंतरी स्वरूप श्री श्री श्री औषधचक्र नारायणाय नमः॥
इस प्रकार पूजा और मंत्र जप के बाद श्री गणेश और धन्वन्तरि जी से हाथ जोड़कर प्रणाम करें और उनसे अपने अच्छे जीवन और पूरे परिवार के अच्छे स्वास्थ्य के लिये प्रार्थना करें।