A
Hindi News लाइफस्टाइल जीवन मंत्र Dhanteras 2020: धनतेरस पर सोना और चांदी खरीदना क्यों होता है शुभ? जानिए ये रोचक कहानी

Dhanteras 2020: धनतेरस पर सोना और चांदी खरीदना क्यों होता है शुभ? जानिए ये रोचक कहानी

धनतेरस क्यों मनाया जाता है और इस दिन सोना-चांदी आदि खरीदना शुभ क्यों माना जाता है...

dhanteras 2020- India TV Hindi Image Source : TWITTER: @PROPERTYDIR धनतेरस 2020

हिंदू धर्म में दीपावली का त्योहार बहुत ही महत्वपूर्ण त्योहारों में से एक माना जाता है। दिवाली उत्सव धनतेरस के साथ शुरू हो जाता है। इस दिन सोना, चांदी, बर्तन आदि खरीदना शुभ माना जाता है। धनतेरस के खास मौके में भगवान धनवंतरी की पूजा-अर्चना की जाती है, लेकिन क्या आप जानते हैं कि धनतेरस क्यों मनाया जाता है और इस दिन सोना-चांदी आदि खरीदना शुभ क्यों माना जाता है। 

धनतेरस का त्यौहार मनाने का कारण

शास्त्रों के मुताबिक, धनतेरस के दिन भगवान धनवंतरि समुद्र मंथन से सोने का कलश लेकर उत्पन्न हुए थे, इसलिए इस दिन सोना या फिर बर्तन खरीदने की परंपरा है। धनवंतरि के उत्पन्न होने के 2 दिन बाद समुद्र मंथन से लक्ष्मी जी प्रकट हुई थीं, इसलिए दीपावली से 2 दिन पहले धनतेरस का त्योहार मनाया जाता है। कहा जाता है कि धनवंतरि विष्णु भगवान का अंश हैं और वो देवताओं के वैद्य हैं, इसलिए इनकी पूजा करने से स्वास्थ्य लाभ होता है। मान्यता है कि संसार में विज्ञान और चिकित्सा के विस्तार के लिए भगवान विष्णु ने धन्वंतरि का अवतार लिया था। 

Diwali Rangoli 2020: इस दिवाली घर पर बनाएं ये खूबसूरत ट्रेंडी रंगोली, देखें सिंपल डिजाइन्स

धनतेरस मनाने की पौराणिक कथा

एक धार्मिक मान्यता यह भी है कि एक बार राजा बलि के भय से देवतागण परेशान थे और विष्णु ने वामन का अवतार लिया था उस वक्त वह यज्ञ स्थल पर पहुंचे। वहां असुरों के गुरु शुक्राचार्य ने विष्णु भगवान को पहचान लिया, उन्होंने राजा बलि से कहा कि ये वामन जो कुछ भी मांगे देना मत क्योंकि यह विष्णु का रूप है और देवताओं की मदद के लिए आए हैं। लेकिन राजा बलि दानी भी थे उन्होंने शुक्राचार्य की बात नहीं मानी। वामन बने विष्णु ने उनसे तीन पग भूमि मांगी,  और राजा बलि ने दी भी दी। उसी वक्त गुरु शुक्राचार्य ने छोटा रूप धारण किया और वामन बने विष्णु के कमंडल में जाकर छिप गए, विष्णु भगवान को ज्ञात हो गया था कि शुक्राचार्य उनके कमंडल में हैं, उन्होंने कमंडल में कुश इस तरह से रखा कि शुक्राचार्य की एक आंख फूट गई। भगवान वामन ने खुद का अवतार बड़ा किया और पहले पग में धरती नाप ली, दूसरे पग में अंतरिक्ष नाप लिया, तीसरा पग रखने की जगह नहीं बची तो बलि ने वामन बने विष्णु के पैरों के नीचे अपना सिर रख लिया। इस तरह बलि की हार हुई और देवताओं के बीच बलि का भय खत्म हो गया। कहा जाता है कि इसी जीत की खुशी में धनतेरस का त्यौहार मनाया जाता है।

धनतेरस के दिन सोना-चांदी खरीदना क्यों है शुभ

धनतेरस के दिन सोना, चांदी, बर्तन, कपड़े आदि खरीदते हैं। लेकिन आपने देखा होगा कि सबसे ज्यादा जोर सोना और चांदी पर दिया जाता है। फिर चाहें एक सिक्का ही क्यों न खरीदा जाए। शास्त्रों में एक पीछे एक कथा बताई है।

Diwali 2020: दिवाली से पहले घर से निकाल फेंके ये चीजें, अन्यथा नहीं होगा मां लक्ष्मी का वास

कहा जाता है कि हिम नाम का एक राजा था, उसके बेटे को श्राप मिला था कि शादी के चौथे दिन ही उसकी मृत्यु हो जाएगी। जो राजकुमारी हिम के बेटे से प्यार करती थी उसे जब पता चला कि ऐसा है तो उसने शादी तो की लेकिन चौथे दिन पति से जागे रहने को कहा। पति को नींद ना आए इसलिए वो पूरी रात उन्हें कहानियां और गीत सुनाती रही। उसने घर के दरवाजे पर सोना-चांदी और बहुत सारे आभूषण रख दिए। खूब सारे दीए जलाए। जब यमराज सांप के रूप में हिम के बेटे की जान लेने आए तो इतनी चमक-धमक देखकर अंधे हो गए। सांप घर के अंदर प्रवेश नहीं कर पाया और आभूषणों के ऊपर बैठकर कहानी और गीत सुनने लगे। ऐसे ही सुबह हो गई और राजकुमार की मृत्यु की घड़ी खत्म हो गई। यमराज को बिना प्राण लिए ही वापस जाना पड़ा। कहा जाता है कि इस दिन सोना-चांदी खरीदने से अशुभ चीजें और नकारात्मक शक्तियां घर के अंदर नहीं आ पाती है।

Latest Lifestyle News