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आषाढ़ी एकादशी 2018: जानें शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और महत्व

आषाढ़ी एकादशी 2018: शास्त्रों में एकादशी के दिन व्रत रखने की परंपरा है। अतः जो लोग व्रत रखना चाहते हैं, वे आज के दिन सुबह स्नान आदि के बाद साफ कपड़े पहनकर व्रत का संकल्प लें और विधि-पूर्वक भगवान की पूजा करें। जो लोग व्रत नहीं भी रख रहे हैं, उन्हें भी अपनी इच्छाओं की पूर्ति के लिये आज के दिन भगवान विष्णु की पूजा जरूर करनी चाहिए।

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धर्म डेस्क: शास्त्रों में एकादशी के दिन व्रत रखने की परंपरा है। अतः जो लोग व्रत रखना चाहते हैं, वे आज के दिन सुबह स्नान आदि के बाद साफ कपड़े पहनकर व्रत का संकल्प लें और विधि-पूर्वक भगवान की पूजा करें। जो लोग व्रत नहीं भी रख रहे हैं, उन्हें भी अपनी इच्छाओं की पूर्ति के लिये आज के दिन भगवान विष्णु की पूजा जरूर करनी चाहिए।

आषाढ़ मास के शुक्ल में पड़ने वाली एकादशी को देवशयनी एकादशी के नाम से जाना जाता है। इसके अलावा इसे आषाढ़ी एकादशी के नाम से भी जाना जाता है। इस बार ये एकादशी 23 जुलाई, सोमवार को पड़ रही है। इसके साथ ही चातुर्मास की शुरुआत भी हो जाएगी। इस दिन से भगवान विष्णु 4 माह के लिए योगनिद्रा में चले जाएंगे। जिसके कारण 4 माह कोई भी शुभ काम नहीं होगा। जानिए देवशयनी एकादशी की पूजा विधि, महत्व और शुभ मुहूर्त।

आषाढ़ी एकादशी का शुभ मुहूर्त
एकादशी तिथि प्रारंभ: 22 जुलाई को दोपहर 2 बजकर 47 मिनट से।
एकादशी तिथि समाप्त: 23 जुलाई शाम 4 बजकर 23 मिनट तक
पारण का समय: 24 जुलाई सुबह 5 बजकर 41 मिनट से 8 बजकर 24 मिनट तक।

आषाढ़ी एकादशी पूजन विधि
शास्त्रों में एकादशी के दिन व्रत रखने की परंपरा है। अतः जो लोग व्रत रखना चाहते हैं, वे आज के दिन सुबह स्नान आदि के बाद साफ कपड़े पहनकर व्रत का संकल्प लें और विधि-पूर्वक भगवान की पूजा करें। जो लोग व्रत नहीं भी रख रहे हैं, उन्हें भी अपनी इच्छाओं की पूर्ति के लिये आज के दिन भगवान विष्णु की पूजा जरूर करनी चाहिए। इसके लिये सबसे पहले तुलसी दलों से भगवान की पूजा करनी चाहिए। फिर चन्दन का टीका लगाना चाहिए और कोई एक मौसमी फल भगवान को अर्पित करना चाहिए। जैसे इस समय आम का सीजन है, तो आप श्री विष्णु को आम का फल अर्पित कर सकते हैं। इसके बाद भगवान के आगे घी का दीपक जलाकर

आज के दिन इस प्रकार श्री विष्णु की पूजा करने से आपकी जो भी इच्छा होगी, वह जरूर पूरी होगी। इसके साथ ही अगर संभव हो तो पूजा आदि के बाद किसी ब्राह्मण को भोजन जरूर कराना चाहिए और उनके पैर छूकर आशीर्वाद लेना चाहिए। इससे आपकी दिन-दुगनी, रात-चौगनी तरक्की होगी।

आषाढ़ी एकादशी महत्व
शास्त्रों के अनुसार एकादशी का व्रत जो भी भक्त सच्चे मन से रखता है उसकी सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। साथ ही समस्‍त पापों का नाश भी हो जाते हैं और मृत्‍यु के बाद स्‍वर्गलोक की प्राप्ति होती है। मान्यता है कि इस एकादशी की कथा पढ़ने और सुनने से सहस्र गौदान के जितना पुण्य फल प्राप्त होता है। इस व्रत में भगवान विष्णु और पीपल की पूजा करने का शास्त्रों में विधान है।

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