कार्तिक शुक्ल पक्ष की उदया तिथि चतुर्दशी को देव दीपावली का त्योहार मनाया जाता है। इसे त्रिपुरारि पूर्णिमा, त्रिपुरोत्सव भी कहते हैं। माना जाता है कि इस दिन भगवान शिव ने देवताओं की प्रार्थना सुनकर त्रिपुरासुर का वध किया था, जिसकी खुशी में देवताओं ने दीप जलाकर उत्सव मनाया था। इसलिए इस उत्सव को देव दीपावली के नाम से भी जाना जाता है। दिवाली के 14 दिन बाद देव दीपावली का पर्व मनाया जाता है। इस दिन स्नान कर दीपदान करने का बहुत अधिक महत्व है। इस साल यह पर्व 18 नवंबर को मनाया जाएगा।
देव दीपावली का ये त्योहार अधिकतर उत्तर प्रदेश में बड़े ही उल्लास के साथ मनाया जाता है। गंगा नदी और काशी के विभिन्न तटों पर के दिन मिट्टी के अनगिनत दीपों को जला कर पानी में प्रवाहित किया जाता है।
Chandra Grahan 2021: 19 नवंबर को लगने जा रहा है साल का आखिरी चंद्र ग्रहण, जानिए समय
आचार्य इंदु प्रकाश के अनुसार शास्त्रों में कहा गया है कि इस दिन देवताओं का पृथ्वी पर आगमन होता है और उनके स्वागत में धरती पर दीप जलाये जाते हैं। शास्त्रों के अनुसार संध्या के समय शिव-मन्दिर में भी दीप जलाये जाते हैं। शिव मन्दिर के अलावा अन्य मंदिरों में, चौराहे पर और पीपल के पेड़ व तुलसी के पौधे के नीचे भी दीये जलाए जाते हैं।
दीपक जलाने के साथ ही भगवान शिव के दर्शन करने और उनका अभिषेक करने की भी परंपरा है । ऐसा करने से व्यक्ति को ज्ञान और धन की प्राप्ति होती है। साथ ही स्वास्थ्य अच्छा रहता है और आयु में बढ़ोतरी होती है।
इस माह में ब्रह्मा, विष्णु, शिव, अंगिरा और आदित्य आदि ने महापुनीत पर्वों को प्रमाणित किया है। इसके साथ ही इस माह में उपासना, स्नान, दान, यज्ञ आदि का भी अच्छा परिणाम मिलता है।
Vastu Tips: इस दिशा में बिल्कुल भी न बनवाएं खिड़की, माना जाता है अशुभ
देव दीपावली शुभ मुहूर्त पूर्णिमा तिथि आरंभ- 18 नवंबर, गुरुवार दोपहर 12 बजे से शुरू
पूर्णिमा तिथि समाप्त- 19 नवंबर, शुक्रवार दोपहर 02 बजकर 26 मिनट पर
प्रदोष काल मुहूर्त: 18 नवंबरको शाम 05 बजकर 09 मिनट से 07 बजकर 47 मिनट तक
देव दीपावली की पूजा विधि किसी भी शिव मंदिर में जाकर विधिवत षोडशोपचार पूजन करें। गौघृत का दीप करें, चंदन की धूप करें, अबीर चढ़ाएं, खीर पूड़ी, गुलाब के फूल चढ़ाएं। चंदन से शिवलिंग पर त्रिपुंड बनाएं और बर्फी का भोग लगाएं। इसके बाद इस मंत्र का जाप करें- 'ऊं देवदेवाय नम'।
Latest Lifestyle News