India Uttar Pradesh Varanasi Dev Deepawali
देवताओं को परेशान करने के लिए त्रिपुरासुर ने स्वर्ग लोक पर भी अपना कब्जा जमा लिया था। माना जाता है कि त्रिपुरासुर ने प्रयाग में ही काफी दिनों तक तप किया था और उसके इस तप के कारण तीनों लोक जलने लगे। इसके बाद ब्रह्मा जी ने उसे दर्शन दिया और वरदान मांगने के लिए कहा, उसने कहा कि उसे कोई देवता, पुरुष, स्त्री, जीव, जंतु, पक्षी, निशाचर ना मार पाए। इस वरदान को पाने के बाद त्रिपुरासुर अमर हो गया। कोई भी देव उसे नहीं मार सकता था, इसलिए विष्णु ने भी उसका वध करने से मना कर दिया, लेकिन विष्णु ने सभी देवों को शिव के पास जाने के लिए कहा।
ब्रह्मा जी और सभी दव भगवान शिव के पास पहुंचे और त्रिपुरा के वध के लिए उनसे प्रार्थना की। महादेव तीनों लोकों में त्रिपुरासुर को ढूंढने के लिए निकल पड़े। इसके बाद कार्तिक पूर्णिमा के दिन महादेव ने प्रदोषकाल के समय अर्धनारीश्वर के रुप में त्रिपुरासुर का वध कर दिया। इसके बाद से काशी में सभी देवताओं ने भगवान शिव की विजय की खुशी में दीप जलाएं। जो कि देव दीपावली के नाम से जानी जाती है। यहां पर पहली बार 1915 में हजारों की संख्या में दीप जलाकर देव दीपावली मनाई गई थी।
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