दिवाली स्पेशल: कोरियाई वंशज का अयोध्या से जन्मों का नाता, जानिए अयोध्या दीपोत्सव और साउथ कोरिया कनेक्शन
दिवाली के त्योहार से एक दिन पहले अयोध्या में भव्य दीपोत्सव की पूरी तैयारियां कर ली गई। भगवान श्रीराम के स्वागत के लिए अयोध्या नगरी को एक बार फिर स्वर्ग की तरह सजा दिया गया है।
नई दिल्ली: दिवाली के त्योहार से एक दिन पहले अयोध्या में भव्य दीपोत्सव की पूरी तैयारियां कर ली गई। भगवान श्रीराम के स्वागत के लिए अयोध्या नगरी को एक बार फिर स्वर्ग की तरह सजा दिया गया है। वहीं, सरयू के तट पर 3 लाख दीपों के दीपोत्सव के साथ यूपी की योगी सरकार भगवान श्री राम के स्वागत की तैयारियां कर रही है। मंगलवार को होने वाले इस खास आयोजन पर पूरी दुनिया की निगाहें अयोध्या पर टिकी हुई हैं। कार्यक्रम की एक खास बात यह है कि इसमें दक्षिण कोरिया के साथ-साथ रूस, इंडोनेशिया और त्रिनिदाद के कलाकार भी अपनी प्रस्तुति देंगे। भव्य दीपोत्सव में कोरिया गणराज्य की प्रथम महिला किम-जुंग-सुक मुख्य अतिथि के रूप में शामिल होंगी।
मातामही का जन्मस्थान मानते हैं कोरियाई वंशज
रिपब्लिक ऑफ कोरिया के प्राचीन ग्रंथ के अनुसार 48 एडी में दैवीय संकेत पर अयोध्या के तत्कालीन शासक ने अपनी पुत्री को समुद्री यात्रा पर भेजा था। वह राजकुमारी यात्रा करते-करते कोरिया पहुंच गई और वहां उनका विवाह तत्कालीन शासक किंग सूरो से हो गया। इन्हीं के वंशजों की संख्या कोरिया में करीब साठ लाख है। कोरिया सरकार में महारानी के वंशजों के प्रभावी होने पर उन्होंने ‘महारानी के जन्मस्थल अयोध्या’ की खोज शुरू की। इसी कड़ी में कोरियाई राजदूत 1998 में अयोध्या पहुंचे थे। कोरियाई वंशज अयोध्या को अपनी मातामही का पवित्र जन्मस्थान मानते हैं।
अयोध्या को भगवान राम की जन्मभूमि के तौर पर जाना जाता है। लेकिन कुछ दक्षिण कोरियाई लोगों के लिए अयोध्या खास महत्व रखता है। दरअसल, दक्षिण कोरिया के लोगों का मानना है कि अयोध्या से दो हजार साल पहले अयोध्या की राजकुमारी सुरीरत्ना यानी हु ह्वांग ओक अयुता (अयोध्या) से दक्षिण कोरिया के ग्योंगसांग प्रांत के किमहये शहर आई थीं। यहां उनका विवाह कोरिया के कारक वंशी राजा किम सोरो से हो गया, जिसके बाद वह कोरिया की महारानी बन गईं। कहते हैं कि जिस वक्त राजकुमारी का विवाह हुआ, उस वक्त वे 16 साल की थी। इसके बाद वह कभी अयोध्या नहीं लौटीं।
पौराणिक कथाओं के मुताबिक, राजकुमारी सुरीरत्ना, जिन्हें हु-ह्वांग-ओक भी कहा जाता है, करीब 2000 साल पहले में 48 ईस्वी में कोरिया गईं थीं। इसके बाद उन्होंने वहां के राजा से शादी करके करक राजवंश शुरू किया।
चीनी भाषा में मौजूद दस्तावेजों में कहा गया है कि अयोध्या के राजा को सपने में भगवान ने निर्देश दिया कि वो अपनी 16 साल की बेटी को राजा किम सूरो से विवाह करने के लिए किमहये शहर भेजें।
एक लोकप्रिय दक्षिण कोरियाई किताब, समगुक युसा में कई ऐतिहासिक कहानियों और तथ्यों का जिक्र हैं। इसी किताब में उल्लेख है कि रानी ह्वांग-ओक "अयुता" यानी अयोध्या साम्राज्य की राजकुमारी थी। किम ब्यूंग-मो नाम के एक मानवविज्ञानी ने इस बात की पुष्टि की, कि वास्तव में 'अयुता' ही अयोध्या है। क्योंकि दोनों नामों के उच्चारण में भी काफी समानता है।
हालांकि, इसे लेकर कोई स्पष्ट प्रमाण नहीं है कि क्या वाकई में राजकुमारी का कोई अस्तित्व था। इसके अलावा इस बात का भी कोई ऐतिहासिक प्रमाण नहीं हैं कि राजकुमारी भगवान राम के पिता राजा दशरथ की वंशज थीं।