कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि यानी 18 नवंबर से छठ का पावन शुरू हो चुका है। छठ महापर्व का आज दूसरा दिन है। जिसे ''खरना'' नाम से जाना जाता है। आपको बता दें कि कि पहले दिन नहाय खाय के रूप में मनाया जाता है। दिवाली के 6 दिन बाद छठ का त्योहार मनाया जाता है। यह पर्व खासतौर पर बिहार, उत्तरप्रेदश, झारखंड में अधिक मनाया जाता है। छठ पूजा में भगवान सूर्य की पूजा का विशेष महत्व है। जानिए खरना क्या है और पूजा विधि।
क्या होता है खरना
महपर्व छठ के दूसरे दिन खरना होता है। जिसका मतलब होता है शुद्धिकरण। दरअसल जो व्यक्ति छठ का व्रत रखता हैं। वह पहले दिन से पूरा दिन उपवास करके केवल एक समय खाती है। वहीं दूसरे दिन तक चलता है। व्यक्ति पूरे दिन का उपवास रखता है। जिससे शरीर से लेकर मन तक शुद्ध हो जाए। इस कारण इसे खरना नाम से जाना जाता है। इस दिन शाम के वक्त गन्ने के जूस या फिर गुड़ से बनी खीर का सेवन प्रसाद के रूप में किया जाता है। जिसके बाद से व्रत करने वाले व्यक्ति को 36 घंटे के लिए निर्जला व्रत रखना होता है।
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खरना करने की व्रत विधि
36 घंटे का व्रत तक समाप्त होता है जब उगते हुए सूर्य को अर्ध्य दिया जाता है। इसलिए दिन महिलाएं शाम को स्नान करके शुद्ध-साफ वस्त्र पहन कर विधि विधान के साथ मिट्टी से बने नए चूल्हे में आम की लकड़ी जलाकर रोटी और गन्ने की रस या गुड़ की खीर बनाती है। जिसे प्रसाद के रूप में छठी मइया और भगवान सूर्य और अपने कुलदेवता को अर्पित किया जाता है। इसके अलावा प्रसाद के रूप में मूली और केला भी रखे जाते है। फिरभगवान सूर्य की पूजा करने के बाद के बाद व्रत यह प्रसाद ग्रहण करती हैं।
खरना के बाद व्रती दो दिनों तक निर्जला व्रत रखकर साधना करती है। जिसमें पूर्ण ब्रह्मचर्य का पालन किया जाता है। इस दिन से महिलाए भूमि में सोती हैं।
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आज का सूर्योदय और सूर्यास्त का समय- सूर्योदय सुबह 6 बजकर 47 मिनट बजे और सूर्योस्त शाम को 5 बजकर 26 मिनट बजे पर होगा।
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