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बद्रीनाथ के कपाट खुले, जानें आखिर क्यों भगवान शिव के निवास स्थान पर श्री विष्णु ने किया था कब्जा

चार धाम यात्रा: आज बद्रीनाथ के कपाट खुलेंगे। मान्यता है कि आज जहां ये धाम स्थित है। केदारनाथ के कपाट 9 मई को सुबह पूरी विधि विधान से पूजा-अर्चना करने के बाद खोल दिए गए थे। पहले ही गंगोत्री-यमुनोत्री के कपाट खुल चुके है। जिसके साथ ही चारधाम की यात्रा शुरु हो चुकी है। सुबह 4 बजकर 15 मिनट के शुभमहूर्त पर भगवान बद्री नाथ के कपाट खोले दिए गए है।

Badri nath temple- India TV Hindi Badri nath temple

चार धाम यात्रा: आज बद्रीनाथ के कपाट खुलेंगे। मान्यता है कि आज जहां ये धाम स्थित है। केदारनाथ के कपाट 9 मई को सुबह पूरी विधि विधान से पूजा-अर्चना करने के बाद खोल दिए गए थे। पहले ही गंगोत्री-यमुनोत्री के कपाट खुल चुके है। जिसके साथ ही चारधाम की यात्रा शुरु हो चुकी है। सुबह 4 बजकर 15 मिनट के शुभमहूर्त पर भगवान बद्री नाथ के कपाट खोले दिए गए है।

परंपरा के अनुसार बदरीनाथ धाम में छह माह मानव और छह माह देव पूजा होती है। शीतकाल के दौरान देवर्षि नारद यहां भगवान नारायण की पूजा करते हैं। इस दौरान भगवान बदरी विशाल के मंदिर में सुरक्षा कर्मियों के सिवा और कोई भी नहीं रहता। 20 नवंबर 2018 को कपाट बंद कर दिए गए थे और इसके साथ ही चार धाम यात्रा पर भी विराम लग गया था।

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बद्रीनाथ पर पहले भगवान शिव निवास किया करते थे, लेकिन बाद में भगवान विष्णु इस जगह पर रहने लगे। भगवान शिव और भगवान विष्णु न केवल एक दूसरे को बहुत मानते थे बल्कि दोनों एक दूसरे के आराध्य भी थे। आइए जानते हैं आखिर क्यों भगवान विष्णु की वजह से भोले शंकर को छोड़ना पड़ा अपना निवास।

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भगवान विष्णु ने किया शिवजी के निवास स्थान
हिंदू धर्म की पौराणिक कथा के अनुसार, बद्रीनाथ धाम में भगवान शिव अपने परिवार सहित निवास करते थे। एक बार विष्णुजी ऐसा एकांत स्थान खोज रहे थे जहां उनका ध्यान भंग न हो। ऐसे में उन्हें जो जगह पसंद आई वो था बद्रीनाथ, जो पहले से ही भोले शंकर का निवास था। भगवान विष्णु ने ऐसे में एक तरकीब लगाई। एक छोटे बच्चे का भेष बनाकर वो रोने-रोने लगे जिसे उनकर मां पार्वती बाहर आईं और बच्चे को चुप कराने की कोशिश की।

मां पार्वती बच्चे को लेकर घर के भीतर जाने लगीं तो भोले शंकर को भगवान विष्णु की लीला को समझने में देर न लगी। उन्होंने माता पार्वती को मना किया लेकिन वे नहीं मानीं। मां पार्वती ने बच्चे को थपकी देकर सुला दिया। जब बच्चा सो गया तो माता पार्वती घर से बाहर आईं। इसके बाद बच्चे के भेष में लीला रचा रहे श्री हरि ने दरवाजे को अन्दर से बंद कर लिया और जब भगवान शिव वापस आए तो बोले कि मुझे ध्यान के लिए ये जगह बहुत पसंद आ गई है। आप कृपा करने परिवार सहित केदारनाथ धाम प्रस्थान करिए। मैं भविष्य में अपने भक्तों को यहीं दर्शन दूंगा। तभी से बद्रीनाथ धाम भगवान विष्णु का लीलास्थल बना जबकि केदारनाथ भगवान शिव की भूमि बना।

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