नई दिल्ली: सनातन धर्म और ईश्वर को मानने वाला हर व्यक्ति देव की अराधना करते समय शास्त्रों, ग्रंथों में दिए श्लोक, मंत्रो, भजन और कीर्तन के दौरान ऊं महामंत्र को कई बार पढ़ता, सुनता या फिर बोलता है। हिंदू धर्म रे शास्त्रों में इसे प्रणव नाम से भी पुकारा गया है।
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वास्तव में इस पवित्र नाम करे साथ कई गहरे अर्थ व दिव्य शक्तियां जुड़ीं हैं, जो अलग-अलग पुराणों और शास्त्रों में तरह-तरह से बताई गई है। सबसे ज्यादा शिवपुराण में ऊं के प्रणव नाम से जुड़ी शक्तियों, स्वरूप व प्रभाव के गहरे रहस्य बताए हैं।
- शिव पुराण के अनुसार इसे प्र यानी प्रपंच, न यानी नहीं और व: यानी तुम लोगों के लिए। इसका मतलब है कि प्रणव मंत्र सांसारिक जीवन में प्रपंच यानी कलह और दु:ख दूर कर जीवन के सबसे अहम लक्ष्य का प्राप्ति कराता है। इसलिए ऊं को प्रणव नाम से जाना जाता है।
- दूसरे शब्दों में कहे तो प्रणव को 'प्र' यानी प्रकृति से बने संसार रूपी सागर को पार कराने वाली नव यानी नाव बताया गया है। यानी की इस सागर से संसार को नाव से पार लगाना है।
- ऋषि-मुनियों की दृष्टि से मानें तो इस उणव शब्द को का अर्थ निकाला है कि 'प्र यानी कि प्रकर्षेण, न यानी की नयेत् और व: युष्मान् मोक्षम् इति वा प्रणव: बताया गया है। इसका मतलब है कि हर भक्त को शक्ति देकर जनम-मरण के बंधन से मुक्त करने वाला ऊं है।
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