धर्म डेस्क: आचार्य चाणक्य ने अर्थशास्त्र के संबंध पर काफी कुछ लिखा है लेकिन उन्होंने हमारी जीवनशैली और व्यवहार समेत तमाम गुणों के बारे में भी ऐसी ही कुछ बातें साझा की है जिनका पालन कर आप अजीवन खुश रह सकते हैं।
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आचार्य चाणक्य ने कई गूढ़ बाते बताई है। जिनका अनुसरण करने से आपको हर जगह सफलता मिलती है। की बार हम ऐसे काम कर देते है जो कि हमें बाद में नुकसान पहुंचाते है। इसी तरह चाणक्य ने हमारी दिनचर्या के कामों को लेकर कई बातें बताई है। इन्हीं में से है नहाने से संबंधित बातें। चाणक्य ने बताया है कि किस समय हमें नहाना चाहिए और किस समय नही।
इसी तरह आचार्य ने बताया कि किस परिस्थियों में हमें जरुर नहाना चाहिए। आमतौर में तो हम रोज सुबह नहाते है, लेकिन आचार्य के अनुसार जब इन परिस्थियों में हो तो जरुर नहाएं। ऐसा न करने से हमारी सेहत में इसका असर पड़ सकता है, क्योंकि हमारे खान-पान के साथ-साथ दिनचर्या से ही हमारी सेहत में असर पडता है। जानिए इन स्थितियों के बारें में।
तैलाभ्यङ्गे चिताधूमे मैथुने क्षौरकर्मणि।
तावद् भवति चाण्डालो यावत् स्नानं न चाचरेत्।
इस श्लोक से मतलब है कि जब आप अपने शरीर में तेल की मालिश करें, या फिर किसी शवयात्रा से लौटकर आए हो, किसी स्त्री या पुरुष के साथ प्रसंग किया हो या फिर आपने अपने बाल कटवाएं हो। इन स्थितियों में आपको जरुर नहाना चाहिए। इससे आपकी सेहत सही रहेगी।
दाह संस्कार से लौटने के बाद
अगर किसी की मृत्यु हो गई है और आप उसकी शवयात्रा में जा रहे है तो वहां से वापस आकर तुरंत स्नान करना चाहिए। बिना स्नान करें घर के अंदर भी प्रवेश नही करना चाहिए। इसके पीछे का कारण आचार्य ने बताया कि जब आप श्मशान जाते है तो वहां पर अनेकों तरह के कीटाणु होते है जो आपके शरीर के साथ कही न कही चिपक कर चले आते है। इसलिए तुरंत आकर नहाना चाहिए जिससे वह कीटाणु आपके घर में न फैलें। साथ ही आपको कोई सेहत संबंधी समस्या न हो।
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