अगर किसी भी रिश्ते में आ गईं 3 चीजें तो हर रिश्ते की हार होना तय
खुशहाल जिंदगी के लिए आचार्य चाणक्य ने कई नीतियां बताई हैं। अगर आप भी अपनी जिंदगी में सुख और शांति चाहते हैं तो चाणक्य के इन सुविचारों को अपने जीवन में जरूर उतारिए।
आचार्य चाणक्य की नीतियां और विचार भले ही आपको थोड़े कठोर लगे लेकिन ये कठोरता ही जीवन की सच्चाई है। हम लोग भागदौड़ भरी जिंदगी में इन विचारों को भरे ही नजरअंदाज कर दें लेकिन ये वचन जीवन की हर कसौटी पर आपकी मदद करेंगे। आचार्य चाणक्य के इन्हीं विचारों में से आज हम एक और विचार का विश्लेषण करेंगे। आज का ये विचार रिश्ते पर आधारित है।
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'जब दिल में वहम, दिमाग में जिद और बातों में मुकाबला आ जाए तो समझ लेना की रिश्तों की हार निश्चित है।' आचार्य चाणक्य
आचार्य चाणक्य का कहना है कि जब किसी मनुष्य के जीवन में ये तीन चीजें आ जाए तो समझ लेना चाहिए कि वो अपने रिश्ते हार चुका है। ये तीन चीजें दिल में वहम, दिमाग में जिद और बातों में मुकाबला है। अगर किसी भी मनुष्य में ये तीनों चीजें आ जाएं तो इसका असर उसके करीबी रिश्तों पर पड़ता है।
सबसे पहले बात करते हैं दिल में वहम की। वहम एक ऐसी चीज है जिसका कोई इलाज नहीं है। अगर किसी के भी मन में वहम आ जाए तो उसे समझाना बेकार है। ऐसा इसलिए क्योंकि हमेशा वही करता है जो उसके दिमाग में आ जाए। उसे किसी भी बात समझ में नहीं आती। उसे लगता है कि जो वो कर रहा है वो एकदम सही है। यहां तक कि अगर उसे कोई समझाने की कोशिश भी करे तो वो सामने वाले को ही गलत समझ लेता है।
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अब बात करते हैं दिमाग में जिद और बातों में मुकाबला करना। अगर किसी व्यक्ति के मन में ये दोनों चीजें भी आ गईं तो उसका बुरा असर रिश्तों पर पड़ता है। दिमाग में जिद आने का मतलब है कि आपने पहले से ही सब कुछ सोच समझ लिया है और तय कर लिया है कि आपको आगे क्या करना है। वहीं बातों में मुकाबला करने का मतलब है कि अगर आपके सामने वाला आपसे एक बात कह रहा तो आप उसे ऐसा जवाब देने की कोशिश करेंगे कि वो उस पर भारी पड़े। इसी वजह से आचार्य चाणक्य ने कहा है कि जब दिल में वहम, दिमाग में जिद और बातों में मुकाबला आ जाए तो समझ लेना की रिश्तों की हार निश्चित है।