आचार्य चाणक्य की नीतियां और विचार भले ही आपको थोड़े कठोर लगे लेकिन ये कठोरता ही जीवन की सच्चाई है। हम लोग भागदौड़ भरी जिंदगी में इन विचारों को भले ही नजरअंदाज कर दें लेकिन ये वचन जीवन की हर कसौटी पर आपकी मदद करेंगे। आचार्य चाणक्य के इन्हीं विचारों में से आज हम एक और विचार का विश्लेषण करेंगे। आज के विचार में आचार्य चाणक्य ने पत्थर की खूबी और उसकी कमी के बारे में बताया है।
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'पत्थर में बस एक कमी होती है कि वो पिघलता नहीं है लेकिन उसकी एक खूबी है कि वो कभी बदलता नहीं है।' आचार्य चाणक्य
आचार्य चाणक्य ने अपने इस कथन में पत्थर के बारे में बताया है। उनका कहना है कि पत्थर मौसम का सितम सहता रहता है। लेकिन उसकी एक खूबी है कि वो मौसम के अनुसार अपने आपको बदलता नहीं है। यानि कि वो शुरुआत से जैसा होता है वैसा ही आपको आखिर तक दिखता है। यानी कि पिघलता नहीं है। कुछ लोग इसे कमी के रूप में देखेंगे। लेकिन पत्थर की एक खूबी भी आचार्य चाणक्य ने अपने इस कथन में बताई है। ये खूबी मनुष्य में बहुत कम होती है। ये खूबी है कि मौसम के अनुसार ना बदलना।
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असल जिंदगी में आप कई लोगों से मिले होंगे। कुछ लोग ऐसे होते हैं जिन्हें आप बरसों से जानते हैं और कई साल बाद भी उनका स्वभाव वैसे का वैसा ही रहता है। इसके उलट कुछ लोग ऐसे होते हैं जिनके स्वभाव में आप हर पल बदलाव देख सकते हैं। ऐसे लोगों पर विश्वास करना थोड़ा कठिन होता है। इसकी वजह है कि आप उन लोगों का असली चेहरा पहचानने में असमर्थ होते हैं। आपको समझ में नहीं आता कि सामने वाला किस स्वभाव का है। उसका असली चेहरा क्या है। इसी वजह से आचार्य चाणक्य ने कहा है कि पत्थर में बस एक कमी होती है कि वो पिघलता नहीं है लेकिन उसकी एक खूबी है कि वो कभी बदलता नहीं है।
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