आचार्य चाणक्य की नीतियां और अनुमोल वचनों को जिसने जिंदगी में उतारा वो खुशहाल जीवन जी रहा है। अगर आप भी अपने जीवन में सुख चाहते हैं तो इन वचनों और नीतियों को जीवन में ऐसे उतारिए जैसे पानी के साथ चीनी घुल जाती है। चीनी जिस तरह पानी में घुलकर पानी को मीठा बना देती है उसी तरह से विचार आपके जीवन को आनंदित कर देंगे। आचार्य चाणक्य के इन अनुमोल विचारों में से आज हम एक विचार का विश्लेषण करेंगे। आज का ये विचारदूसरों के सामने खुद को मूर्ख ठहराकर उनके बारे में जानने का है।
'लोगों को दिखाओं कि तुम मूर्ख हो और तुम्हें कुछ नहीं पता इससे तुम उनकी औकात जान पाओगे।' आचार्य चाणक्य
आचार्य चाणक्य के इस कथन का अर्थ है कि मनुष्य को कई बार दूसरों को जानने के लिए मूर्ख बनना जरूरी है। यानी कि उसे दूसरों के सामने अपनी समझदारी नहीं बल्कि ये दिखाना है कि उसे उस चीज के बारे में बिल्कुल भी ज्ञान नहीं है। ऐसा करके आप उस व्यक्ति के मन में क्या चल रहा है ये आसानी से पता कर सकते हैं।
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कई बार लोगों के मन में क्या चल रहा है ये जानने के लिए समझदारी काम नहीं आती। उस वक्त आपको दूसरों के सामने ऐसा प्रतीत करना है कि आपको उस विषय पर बिल्कुल भी जानकारी नहीं है। हो सकता है कि सामने वाला उस वक्त आपके सामने ऐसा शो करे कि वो आपको उस चीज से संबंधित जानकारी देना चाहता है। या फिर आपका उपहास ना बनाएं। लेकिन असल में उस व्यक्ति के मन में आपके लिए क्या भावनाएं है इसी तरह से आप पता लगा सकते हैं।
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हो सकता है कि वो व्यक्ति आपके पीठ पीछे आपका मजाक बनाएं या फिर हो सकता है कि वो सही में आपके प्रति अच्छी भावनाएं रखता हो। इन दोनों ही परिस्थितियों में आपको ये जरूर पता चल जाएगा कि उस व्यक्ति पर आप विश्वास कर सकते हैं या फिर नहीं। इसी वजह से आचार्य चाणक्य ने कहा है कि लोगों को दिखाओं कि तुम मूर्ख हो और तुम्हें कुछ नहीं पता इससे तुम उनकी औकात जान पाओगे।
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