आचार्य चाणक्य की नीतियां और विचार भले ही आपको थोड़े कठोर लगे लेकिन ये कठोरता ही जीवन की सच्चाई है। हम लोग भागदौड़ भरी जिंदगी में इन विचारों को भले ही नजरअंदाज कर दें लेकिन ये वचन जीवन की हर कसौटी पर आपकी मदद करेंगे। आचार्य चाणक्य के इन्हीं विचारों में से आज हम एक और विचार का विश्लेषण करेंगे। आज का विचार है कि जिन लोगों में ये तीन चीजें भरी हों, उनसे कभी भी दोस्ती नहीं करनी चाहिए।
'जिन लोगों में लज्जा का गुण ना हो, जो किसी भी गलत कार्य को करने से पहले संकोच ना करें और जो लज्जा हीन हों, उनसे मित्रता नहीं करनी चाहिए।' आचार्य चाणक्य
आचार्य चाणक्य ने अपने इस कथन में बताया है कि जिन लोगों में ये 3 चीजें कूट कूटकर भरी हों उनसे कभी भी दोस्ती नहीं करनी चाहिए। ऐसा करने वाला मनुष्य जीवन भर दुखी रहता है। ऐसे लोगों से दूरी बनाए रखने में ही समझदारी है। असल जिंदगी में आपका आमना-सामना कई लोगों से होता है। कुछ लोग अच्छे होते हैं तो कुछ लोग बुरे। ऐसे में उन लोगों से हमेशा बचना चाहिए जिनमें ये 3 चीजें कूट कूटकर भरी हो।
इन 3 चीजों में से पहली चीज है लज्जा का गुण ना होना। आचार्य का कहना है कि जिस व्यक्ति में लज्जा का गुण ना हो उस व्यक्ति से सौ कदम दूर रहना चाहिए। क्योंकि ऐसा व्यक्ति किसी का भी अहित करने से पहले एक बार भी नहीं सोचता। दूसरा है- कोई भी गलत काम करने से पहले से संकोच ना करें। जो व्यक्ति किसी भी गलत काम को करने से पहले संकोच ना करें उससे भी दूर रहना चाहिए। ऐसा व्यक्ति आपको कभी भी किसी भी मुसीबत में डाल सकता है।
तीसरा है- लज्जा हीन हों। जो व्यक्ति लज्जा हीन यानी कि बेशर्म हो, ऐसे लोगों से भी बचना चाहिए। क्योंकि ऐसे लोग ना तो खुद की इज्जत की कोई परवाह करते है और ना ही दूसरे की। अगर आप भी ऐसे किसी व्यक्ति को जानते हों तो उनसे सौ कोस की दूरी बना लें।
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